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मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड और सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी कर रहे इंदौर शहर में सर्वे


शहर के मेट्रो प्रोजेक्ट के कारण लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा, इसे लेकर सरकार द्वारा एक सामाजिक सर्वे और आकलन किया जा रहा है। सामाजिक सर्वे में देखा जा रहा है कि मेट्रो रूट के आसपास रहने वाले लोगों, कारोबारियों, उनके परिवार और वहां काम करने वाले कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इस सर्वे में बच्चों और खासकर बालिकाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को भी बारीकी से दर्ज किया जाएगा।


प्रोजेक्ट के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) लोन देकर फंड उपलब्ध करा रहा है, इसलिए सर्वे की यह रिपोर्ट केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार के अलावा एडीबी को भी भेजी जाएगी। प्रोजेक्ट के पहले चरण की लागत 7522 करोड़ रुपए है। इसमें से लगभग 3200 करोड़ का लोन एडीबी लोन देगा, बची हुई राशि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर लगाएंगी। दरअसल, प्रोजेक्ट को दिए गए लोन की शर्तों में प्रोजेक्ट के कारण पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव का आकलन भी शामिल है। मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड और सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी यह सर्वे कर रहे हैं


एमआर-10 से हाई कोर्ट तक के एलिवेटेड रूट का सर्वे


मेट्रो का पहला चरण 31.5 किलोमीटर लंबा है। यह एयरपोर्ट से शुरू होकर सुपर कॉरिडोर, एमआर-10, सुखलिया, विजय नगर, रेडिसन चौराहा, खजराना चौराहा, बंगाली चौराहा, पत्रकार कॉलोनी, पलासिया चौराहा, हाई कोर्ट, रीगल तिराहा, गांधी हॉल, राजवाड़ा होते हुए बड़ा गणपति और फिर एयरपोर्ट तक रहेगा। इसमें एमआर-10 से लेकर विजय नगर, बंगाली चौराहा, पलासिया से हाई कोर्ट तक का रूट एलिवेटेड रहेगा। फिलहाल इस एलिवेटेड रूट का ही सामाजिक सर्वे किया जा रहा है। हाई कोर्ट से एयरपोर्ट तक का रूट अंडरग्राउंड रहेगा। इसकी ड्रॉइंग-डिजाइन को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, इसलिए इस हिस्से का सामाजिक सर्वे बाद में किया जाएगा


पेट्रोल पंप पर मेट्रो स्टेशन, पूर्व पीएम के पोते ने किया विरोध


इंदौर। मेट्रो के एलिवेटेड रूट पर एक स्टेशन हाई कोर्ट के सामने सुविधा पेट्रोल पंप और इससे लगे शर्मा रेस्टॉरेंट की जमीन पर बनेगा। ऐसे में पंप और रेस्टॉरेंट हटाना पड़ेगा। सर्वे के दौरान यह बात सामने आई है। मेट्रो अधिकारियों ने पंप संचालक और फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश पेट्रोल डीलर एसोसिएशन के


सरकारी जमीन पर बनाएं स्टेशन'


ऐरन का कहना है कि मेट्रो किन लोगों ने मांगी जो सरकार इसे बना रही है? यह सिर्फ नेताओं का पैसे खाने का प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट आएगा तो पैसा बंटेगा। यह अनावश्यक प्रोजेक्ट है, जिसकी शहर को कोई जरूरत नहीं है। पंप जनता के उपयोग की जगह है। पंप हटाकर मेरी रोजी-रोटी खत्म करेंगे क्या? मैं इस मामले को लेकर कोर्ट जाऊंगा। मेट्रो स्टेशन बनाना ही है तो सरकारी जमीन पर क्यों नहीं बनाते? सामने हाई कोर्ट है, अहिल्या लाइब्रेरी है। रीगल टॉकीज तो नगर निगम का ही है। वहां सात-आठ एकड़ जमीन है। ऐरन को स्टेशन की जमीन के बदले मुआवजा देने की बात भी कही गई, लेकिन उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि यह पंप मेरी रोजी-रोटी है, इसे पैसे से नहीं आंका जा सकता


सचिव सुधीर ऐरन से भी चर्चा की। दरअसल, ऐरन होलकर स्टेट के पूर्व प्रधानमंत्री राय बहादुर नानकचंद के पोते हैं। ऐरन ने अपने पंप की जगह मेट्रो स्टेशन बनाने का विरोध किया है


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