गरीब मजदूर की दृष्टिबाधित बेटी सरिता चौरे अब बिना किसी चिंता के इंग्लैंड (बर्मिंघम) में कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में भारत की चुनौती पेश कर सकेगी। नईदुनिया में सरिता की खबर प्रकाशित होने के बाद मप्र सरकार ने फैसला किया है कि वह प्रदेश की इस बेटी का पूरा खर्च उठाएगी। मंगलवार शाम खेल और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दीसरिता मूलत: होशंगाबाद के बजरकला गांव की रहने वाली हैं और इंदौर के माता जीजाबाई शासकीय कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है। भारतीय टीम में चयन होने के बाद इंग्लैंड खेलने जाने के लिए सरिता को करीब डेढ़ लाख रुपयों की जरूरत थी। पिता मजदूरी करते हैं और आर्थिक स्थिति खराब है
ऐसे में गांव और समाज के लोगों ने मिलकर कुछ पैसा इकट्ठा किया, कुछ घरवालों ने अपनी जमापूंजी मिलाई। मगर प्रदेश की बेटी की खबर नईदुनिया के माध्यम से पता लगने के बाद खेल मंत्री पटवारी ने कहा कि कॉमनवेल्थ ब्लाइंट गेम्स में भाग लेने वाली हमारी दृष्टिबाधित बेटी सरिता पर हम सबको नाज है।
उसके बर्मिंघम में आयोजित चैंपियनशिप में भाग लेने की सारी व्यवस्था मप्र सरकार की ओर से होगी। सरिता ने कहा- मैं नईदुनिया समाचार पत्र और हमारे खेल मंत्री पटवारी जी को धन्यवाद देती हूं। मेरे माता-पिता भी बहुत खुश हैं। मैं अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगी ताकि देश के लिए पदक जीत सकूं
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