मध्यप्रदेश में सिंथेटिक दूध, नकली घी-मावा के काले कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ उम्रकैद जैसे सख्त कानून बनाए जाने पर विचार मंथन शुरू हो गया है। प्रदेश में अभी दोषी पाए जाने पर छह माह की सजा ही है जबकि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में यह गैर जमानती अपराध है और उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं।
शासन के स्तर पर इस मुद्दे पर विचार मंथन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, पुलिस मुख्यालय की ओर से भी कानून में जरूरी संशोधन का सुझाव दिया गया है। मुख्यालय ने यह भी तर्क दिया है कि जिस तरह उप्र में ऐसे अपराधियों पर संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध दर्ज कर उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है
उसी तर्ज पर मप्र में भी सख्त कानून की जरूरत है। मुख्यालय ने यह भी जानकारी दी है कि उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में भी यही कानून लागू है मप्र में कानून की शिथिलता का लाभ उठाकर उप्र के सीमावर्ती जिलों में यह गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा है।
पिछले सप्ताह ही मप्र एसटीएफ ने भिंड-मुरैना जिले में हानिकारक कैमिकल से बन रहे सिंथेटिक दूध और मिलावटी मावा बनाने वाली तीन फेक्टरियों पर एक साथ छापा मारकर बड़ी मात्रा में कैमिकल और कच्चा माल जब्त किया था। इसके बाद अन्य जिलों में भी छापे का सिलसिला शुरू किया गया है
इस छापामारी के बाद प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों में पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में पत्र लिखकर दूध के नाम पर जहर बेच रहे कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पत्र में यह भी कहा है कि ऐसी शिकायतों की जांच और छानबीन कराएं। इसके पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों को यूरिया जैसे घातक पदार्थ मिलाकर सिंथेटिक दूध, उससे मावा, पनीर और अन्य उत्पाद बेचने वालों पर रासुका जैसी कार्रवाई करने के निर्देश दे चुके हैं
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