इंदौर शहर के बीचो-बीच बनाए गए सिटी फॉरेस्ट में 20 हजार से ज्यादा पेड़ लगे हैं
सीमेंट-कांक्रीट के 'घने जंगल' के बीच एक बड़े हिस्से में खालिस हरियाली, जहां मोर रहते हैं, खरगोश फुदकते हैं और पंछी दाना चुगते हैं। कहीं भी बनावटीपन न लगे, इसलिए मिट्टी, पत्थरों का ट्रैक, टीले, मिट्टी की कच्ची नाली में बारिश का पानी बहते देख सकते हैं। स्कीम-78 जैसे पॉश इलाके में जहां 600 वर्गफीट का प्लॉट भी 25-30 लाख में मिलता हो, वहां 15 एकड़ जमीन पर इंदौर विकास प्राधिकरण ने शहरी जंगल को आकार दिया है। यहां तफरी करने के लिए रोज सुबह-शाम सैकड़ों लोग आने लगे हैं।
इस जंगल में 4800 बड़े पौधे लगाए गए हैं, जबकि 15 हजार छोटे पौधे हैं। कई घने पेड़ पहले से हैं। पक्षियों को यहां भोजन मिल सके, इसलिए आम, अमरूद आदि फलों के पेड़ लगाए गए हैं। सिटी फॉरेस्ट में 20 से ज्यादा मोरों के परिवार रहते हैं। इसके अलावा कई खरगोशों ने भी इस जंगल को अपना बसेरा बना लिया है। सिटी फॉरेस्ट की बाउंड्रीवॉल में ही सिर्फ पक्के निर्माण का उपयोग किया गया है। एक हिस्से में ट्रैक पर पेवर ब्लॉक लगाए गए हैंआसपास की कॉलोनियों से आने वाले बारिश के पानी के प्राकृतिक बहाव को यहां बंद नहीं किया गया, बल्कि जंगल के एक हिस्से में तालाब में उस पानी को रोका गया, तालाब के आसपास पाल भी मिट्टी से बनाई गई है। जंगल के जिस हिस्से को प्राकृतिक रूप से संवारा गया, उसे लोग सुबह घूमने के लिए अपनाने लगे हैं। घने पेड़, जंगली घास और ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलना लोगों को ज्यादा पसंद आ रहा है। लोगों से भी यहां उनके मृत परिजन की स्मृति में पौधे लगवाए जा रहे हैं, ताकि लोगों को भावनात्मक जुड़ाव जंगल से रहे
0 टिप्पणियाँ