गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली की तुलना में मध्यप्रदेश में आम आदमी को बिजली महंगी क्यों मिल रही है। कमलनाथ सरकार इसका जवाब बिजली कंपनियों की खस्ता माली हालत पर श्वेत पत्र लाकर देगी। इसमें जनता को बताया जाएगा कि पिछले 15 साल के भाजपा शासनकाल में किस तरह बिजली कंपनियों को 47 हजार करोड़ रुपए के घाटे और कर्ज में पहुंचाया गया।
जबकि पिछले नौ साल के दौरान बिना बिजली खरीदे छह हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर कैसे प्रदेश को चूना लगाया गया। प्रदेश सरकार के अफसरों ने श्वेत पत्र तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। बिजली का मुद्दा कमलनाथ सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है। पहले बिजली कटौती पर सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, अब महंगी बिजली के मुद्दे पर मप्र की सियासत गरमा गई है
श्वेत पत्र में यह होंगे मुद्दे
कर्ज और घाटा : पिछले 15 साल में बिजली कंपनियों में कौन-कौन सी वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। किन कारणों से कंपनियों का घाटा बढ़ा। कंपनियों ने किन कारणों से कर्ज लिया
बिना बिजली खरीदे बांटे हजारों करोड़ : भाजपा शासनकाल के पीपीपी (पॉवर परचेस एग्रीमेंट) के कारण पिछले नौ साल में प्रदेश को कितना घाटा उठाना पड़ा, कितनी प्राइवेट कंपनियों को बिना बिजली खरीदी साढ़े छह हजार करोड़ रुपए बांटे गए और उससे बिजली कंपनियों की किस तरह कमर टूटी।
कोल प्रबंधन में गड़बड़ी : कोयला सप्लाई, ढुलाई, लाइजनिंग के नाम पर करोड़ों की गड़बड़ी की गई है। कई बरसों से एक ही अफसर काम संभाल रहा है
मनमानी भर्ती की : मध्य क्षेत्र और पूर्व क्षेत्र कंपनी में पिछले वर्षों में जरूरत से ज्यादा भर्तियां की गईं। इस कारण भी बिजली कंपनियों का स्थापना व्यय बढ़ा।
फिर निकाला लाइजनिंग का टेंडर
सिंगाजी पॉवर प्लांट के लिए कोयला परिवहन और गुणवत्ता पर निगरानी के लिए लाइजनर नियुक्त करने जा रहा है। वह भी तब, जब इस संयंत्र के लिए धुला हुआ कोयला आता है, जिसकी गुणवत्ता ठीक न होने का सवाल ही नहीं उठता। परिवहन के लिए भी ठेकेदार हैं, जो खदान से वाशरी और वाशरी से रेलवे रैक तक पहुंचाने का काम करते हैं। इसके बावजूद कंपनी करोड़ों रुपए की फिजूलखर्ची की तैयारी कर रही है।
बताएंगे कैसे चौपट कियाबिजली के क्षेत्र की मौजूदा स्थिति क्या है, इस पर श्वेत पत्र सरकार लाएगी। इसमें हम बताएंगे कि पिछले 15 साल में कैसे बिजली कंपनियों को चौपट किया गया। -प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री, मप्र
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