भगवान ने जन्मजात आवाज न देकर अन्याय किया, लेकिन मूकबधिर बच्चों का हौसला कम नहीं हुआ। उनके भीतर देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम ऐसा कि अंगुलियों के इशारे से ही 52 सेकंड के राष्ट्रगान को पूरा कर देते हैं। ऐसा भी नहीं कि कोई समझ न सके। एक बार देखने पर ही राष्ट्रगान की धुन समझ में आने लगती है। जी हां, बात हो रही है कोपलवाणी संस्था के बच्चों की, जो बोल-सुन नहीं सकते, लेकिन राष्ट्रगान को इशारों पर ही समझा देते हैं।
उनका राष्ट्र के प्रति ऐसा जज्बा है कि राष्ट्रगान के हर शब्द को इशारों के माध्यम से आसानी से समझा देते हैं। बुधवार को 15 अगस्त के एक दिन पूर्व कोपलवाणी संस्था में बच्चों ने राष्ट्रगान की अनोखी प्रस्तुति दी। बच्चों के साथ मौजूद उनकी शिक्षिका पदमा उनके इशारों को समझकर राष्ट्रगान के अक्षरशः समझाया। उन्होंने बताया कि बच्चों को शुरुआत से ही एक एक शब्द को सांकेतिक भाषा में समझाया गया
जब यहां नए बच्चे आते हैं तो उन्हें समझने में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन हाथ और अंगुलियों की मुद्रा के आधार पर उन्हें सांकेतिक भाषा, पिक्चर और नाटकीय तौर पर समझाया जाता है। धीरे-धीरे सामान्य बच्चों की तरह ये सभी चीजों को समझने लगते हैं। खास बात है कि सामान्य बच्चों की अपेक्षा इन बच्चों के अंदर इशारों में समझने की शक्ति अधिक होती है। इसी कारण इन बच्चों को 'स्पेशल चाइल्ड' कहा जाता है।
इस तरह करते हैं राष्ट्रगान
राष्ट्रगान की शुरुआती साइन लैंग्वेज के तहत अक्षर जन को श्रवण बाधित बच्चे हाथ को सामने रखकर एक बार हिलाते हैं। इसके बाद जब गण शब्द आता है तो बच्चे अपने हाथ को थोड़ा सा उठाकर किनारे करते हैं और जब मन शब्द आता है तो हाथों को उठाकर थोड़ा और किनारे करते हैं। राष्ट्रगान के हर एक शब्द पर इनके अलग-अलग इशारे होते हैं। वहीं अधिनायक शब्द पर अंगुली और हाथ के माध्यम से शासक की तरह प्रतीक बनाते हैं।
जब जय हे शब्द आता है तो नारे लगाते वक्त लोग हाथ उठाते हैं वैसे ही ये बच्चे हाथ उठाते हैं। इसके साथ ही जब भारत शब्द आता है तो माथे पर चंदन लगाया जाता है उसे इशारे में समझाते हैं। जब भाग्य शब्द का जिक्र होता है तो माथे पर अंगुली फेर कर इशारा करते हैं। इसके बाद जब विधाता शब्द आता है तो ऊपर की ओर सभी देखते हैं
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