एक रुपए किलोग्राम की दर से हर माह मिलने वाले रियायती दर के राशन (गेहूं और चावल) में फर्जीवाड़े की आशंका है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस और अब भाजपा विधायकों ने विधानसभा के मानसून सत्र में अपात्रों की वजह से पात्रों को राशन नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था।
इसके मद्देनजर खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने पूरे प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले एक करोड़ 11 लाख परिवारों का घर-घर टीम भेजकर सत्यापन कराने का फैसला किया है। विभाग की प्रमुख सचिव नीलम शमी राव ने सभी कलेक्टरों को 18 से 28 सितंबर तक घर-घर सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं
इसमें अपात्र परिवारों का नाम सूची से काटा जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए 29 अक्टूबर तक की मियाद तय की गई है। साथ ही पात्र परिवारों के नाम भी शामिल किए जाएंगे।
विधानसभा में अपात्रों की वजह से पात्र परिवारों को रियायती दर पर राशन नहीं मिलने का मुद्दा उठने पर अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सरकार को पड़ताल कराने के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की कुल आबादी के 75 फीसदी लोगों को ही रियायती दर पर राशन दिया जा सकता है
प्रदेश में एक करोड़ 11 लाख परिवारों के पांच करोड़ से ज्यादा व्यक्तियों को एक रुपए किलोग्राम के हिसाब से गेहूं और चावल दिया जा रहा है। इसके बावजूद छह-सात लाख पात्र व्यक्ति अभी भी राशन से वंचित होने का दावा कर रहे हैं। खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि 2011 की जनगणना के हिसाब से केंद्र सरकार कोटा दे रही है। इसमें अब अंतर आ गया है, इसलिए कोटा बढ़ाने की मांग की गई है।
वहीं, अपात्रों को योजना से बाहर निकालने के लिए आधार केंद्रित व्यवस्था लागू की गई है। 22 जिलों में पाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन के माध्यम से किसी भी दुकान से राशन लेने की सुविधा दी गई है। बाकी जिलों में भी यह व्यवस्था जल्द लागू कर दी जाएगी। इसके अलावा अपात्रों की पहचान करने के लिए घर-घर सत्यापन का काम शुरू किया जा रहा है
आशंका जताई गई है कि जिस तरह संबल (नया सवेरा) योजना में मिलने वाली सुविधाओं के लिए अपात्रों को पात्र बनाकर फर्जीवाड़ा किया गया, वैसा ही रियायती दर के राशन के लिए भी हो सकता है। दरअसल, बड़ी संख्या में ऐसे हितग्राहियों की पहचान हुई है, जिन्होंने बीते तीन माह से राशन ही नहीं लिया है।
हर परिवार की पात्रता का होगा सत्यापन
खाद्य विभाग ने हर परिवार की पात्रता का सत्यापन कराने का फैसला किया है। इसके लिए कलेक्टरों को दल बनाकर सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। दल ग्राम पंचायत और वार्डवार बनेंगे। इसमें कम से कम दो सदस्य होंगे।
इनमें एक ग्राम सदस्य पंचायत का सचिव, रोजगार सहायक, पटवारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या नगरीय निकाय का कर्मचारी जरूर होगा। दल ठीक से सत्यापन का काम कर रहे हैं या नहीं, इसके लिए दस पंचायतों के ऊपर एक प्रभारी अधिकारी रहेगा। इस काम की निगरानी के लिए जिला नियंत्रण कक्ष भी बनाना होगा
ऐसा होगा सत्यापन
मौके पर जाकर यह देखा जाएगा कि परिवार दर्शाए पते पर रहता है या नहीं। परिवार के जो सदस्य बताए गए हैं वे वास्तव में हैं या नहीं। पात्रता पर्ची की श्रेणी संबंधी वैध दस्तावेज हैं या नहीं। परिवार को एक से ज्यादा पात्रता पर्ची तो नहीं मिल रही है।
यदि परिवार नहीं मिलता है तो उसका पंचनामा तैयार करना होगा। सर्वे के दौरान परिवार के मुखिया या सदस्य के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लिया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी सत्यापन के दौरान पाई गई स्थितियों का ब्योरा लिया जाएगा।
अपात्रों की बनेगी सूची, फिर कटेंगे नाम
खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन में अपात्र पाए जाने वाले परिवारों की अलग से सूची बनाई जाएगी। जनपद पंचायत और नगरीय निकाय की बैठक में सूची को रखा जाएगा और जिले की वेबसाइट पर भी इसे प्रदर्शित किया जाएगा।
अपात्र परिवारों के नाम सूची से हटाने के लिए कलेक्टर से अनुमोदन लेना होगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बने पोर्टल से अपात्र परिवारों के नाम विलोपित करने पर आपत्ति की सुनवाई कलेक्टर करेंगे
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