Header Ads Widget

Responsive Advertisement

जन्माष्टमी 2019 - 400 साल पहले जिस न्यायालय में होता था इंसाफ, आज वहां है बालाजी का दरबार


 शहर के महाजनापेठ में जिस स्थान पर कभी करीब 400 साल पहले कचहरी (न्यायालय) हुआ करती था। आज वहां पर भगवान बालाजी का आकर्षक दरबार सजता है। प्राचीन समय के इस अनूठे न्यायालय में भीतर की कारीगरी व नक्काशी देखते ही बनती है। नक्काशीदार लकड़ी से बने इस न्यायालय रूपी मंदिर मेें पंचधातु से निर्मित भगवान बालाजी की मूर्ति विराजमान है।


भगवान के दरबार में मत्था टेकने के लिए दूरदराज से लोग यहां आते हैं। बालाजी मंदिर के पंडित चंद्रशेखर बालाजीवाले, मोहन बालाजीवाले, मंदिर समिति के आशीष भगत, राजेश भगत एवं अजय बालापुरकर ने बताया कि बालाजी मंदिर बुरहानपुर शहर के महाजनापेठ में स्थित है। यहां पर पंचधातु से निर्मित बड़े बालाजी महाराज की मूर्ति विराजित है। बालाजी मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से निर्मित है। यह मंदिर उत्तराभिमुखी है।


मंदिर में भगवान देवघर में विराजमान है। मंदिर के प्रमुख हिस्से में भगवान के दाई और रत्नाकर महाराज और बाई ओर सखाराम महाराज की पादुका स्थित है। सखाराम महाराज ने बालाजी मेला प्रारंभ किया था। रत्नाकर महाराज मुख्य पूर्वज है। यहां से बालाजी वाले परिवार की पीढ़ी की शुरूआत हुई है। जो 10 वीं पीढ़ी तक कार्यरत है।


मेले में आते थे व्यापारी इतिहास के जानकार मेजर डॉ. एमके गुप्ता ने बताया कि बालाजी के इस प्रसिद्ध 400 साल पुराने मेले में भारतवर्ष के व्यापारी दूरदराज क्षेत्रों से यहां पर व्यापार के लिए आते थे। विशेषकर दक्षिण भगवान की प्रतिमाएं व पूजन सामग्री बेचने व्यापारी यहां आते थे। इसलिए आज भी बुरहानपुर के हिंदू घरों में प्राचीन मूर्तियां बहुतायत में देखने को मिलती हैं


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ