जयपुर के नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर लाए गए 58 शेर और बाघ गुमनामी में ही इस दुनिया से विदा हो गए। इनमें से अब एक अकेली शेरनी बची है। अब वह भी यहां अपने अंतिम दिन गुजार रही है।
यहां ज्यादातर शेरनी व बाघिनों की बच्चेदानी में संक्रमण हो गया और उन्हें अपनी जिदगी गंवानी पड़ी। वहीं प्रजनन न होने के तनाव से बहुत से जानवर यहां कैंसर होने के चलते मारे गए।
नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में रखे गए इन शेरों और बाघों को किन हालात में रखा गया, कभी कोई नहीं जान पाया। सर्कस में शेरों और बाघों के प्रदर्शन पर जब पाबंदी लगी तो इनको आजाद कराया गया था
क्या है नाहरगढ़ में रेस्क्यू सेंटर
नाहरगढ़ में 2002 में रेस्क्यू सेंटर बनाया गया था। यहां 2002 से लेकर 2010 तक बाघों और शेरों के आने का सिलसिला जारी रहा। तब यहां लाए गए कुल वन्य जीवों की संख्या 58 थी। यहां आकर भी इन्हें आजाद जिदगी नहीं मिल पाई
जानकारी नहीं की गई सार्वजननिक
2016 तक यहां शेरों व बाघों की मौत की जानकारी सार्वजनिक की जाती थी, लेकिन उसके बाद यह सिलसिला भी खत्म हो गया। राजस्थान हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जवाब तलब किया, तब यहां शेर और बाघों की मौत की वजह उनकी उम्र बताई गई थी
वन मंत्री ने कहा, होगी जांच
विश्नोई प्रदेश के वन मंत्री सुखराम विश्नोई का कहना है कि इस रेस्क्यू सेंटर के हालात को सुधारने के लिए अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। अब तक जानवरों की किन परिस्थितियों में मौत हुई, इसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी। उधर, वन विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रबंधकीय लापरवाही के कारण बाघों और शेरों की मौत हो हुई है
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