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कैब व बाइक टैक्सियों की मनमानी पर लगाम लगाने वाली कैब पॉलिसी शासन स्तर पर डेढ़ साल से अटकी हुई है


कैब व बाइक टैक्सियों की मनमानी पर लगाम लगाने वाली कैब पॉलिसी शासन स्तर पर डेढ़ साल से अटकी हुई है। कोई दावा व आपत्ति न आने के बावजूद राजपत्र जारी कर कैब पॉलिसी को लागू नहीं किया जा रहा। इसके चलते कैब और बाइक टैक्सी संचालक मनमानी कर रहे हैं। बिना सिटी परमिट के चलने के साथ ये यात्रियों से ज्यादा किराया भी वसूल रही हैं। यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है।


कैब कंपनियां आरटीओ से व्यावसायिक प्रमाण पत्र लेने से परहेज करती हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित मेट्रो शहरों से मोबाइल एप के जरिए टैक्सियों का संचालन किया जा रहा है।


 


कैब पॉलिसी में कैब व बाइक टैक्सी कंपनियों की मनमानी रोकने के प्रावधान हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में कैब पॉलिसी जारी होनी थी, लेकिन परिवहन विभाग के आला अधिकारी पॉलिसी लागू करने के लिए गंभीरता नहीं दिखा रहे। इससे यात्रियों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है।


कैब पॉलिसी में प्रावधान 


 


 


-यात्रियों की सुरक्षा के लिए कैब सहित बाइक टैक्सी में पैनिक बटन अनिवार्य रूप से लगाना है, जिससे यात्री को सुरक्षा के लिए तत्काल पुलिस की मदद मिल सके। 


 


 


-संबंधित आरटीओ से कैब को परमिट लेना है। साथ ही फिटनेस करानी होगी। 


 


 


-बाइक टैक्सियों को आरटीओ में व्यावसायिक टैक्स जमा करना होगा। 


 


 


-कैब व बाइक टैक्सी के ड्राइवरों की जानकारी आरटीओ को उपलब्ध करानी है। 


 


 


-गाड़ियों का रजिट्रेशन कार्ड, बीमा सहित अन्य कागजातों को वाहनों की फोटो के साथ आरटीओ में जमा करानी है। 


 


 


-कैब कंपनियों को संबंधित आरटीओ से व्यावसायिक प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। 


 


 


-कैब संचालित करने की फीस 50, ऑटो रिक्शा की 25 और बाइक की 15 हजार स्र्पए आरटीओ को जमा कराने का प्रावधान है।


बाइक टैक्सियों की शिकायतें 


 


-महिला यात्रियों के फोन नंबर मिलने पर उन्हें ड्राइवर की ओर से एसएमएस व वॉट्सएप कर परेशान करना। 


 


-महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं रोकने कैब कंपनियों के पास कोई योजना नहीं। 


 


-यात्रा करने के बाद कैशलैस व नगद किराया देने को लेकर शिकायतें


 


-ज्यादा किराया वसूली करने की आए दिन आ रहीं शिकायतें


भेदभाव का आरोप 


 


पिछले सात महीने से रैपिडो की बाइक टैक्सी संचालित कर रहे तरुण सिंह ने बताया कि शुक्रवार को आरटीओ ने रैपिडो कंपनी का कार्यालय सील कर बाइक जब्त कर ली। कंपनी वाले भी कुछ नहीं कह रहे हैं। बेंगलुरु की कंपनी है। सिर्फ भोपाल आरटीओ से व्यावसायिक प्रमाण पत्र नहीं लिया, इसलिए मेरी बाइक के अलावा अन्य पांच लोगों की बाइक जब्त कर लीं। ओला व जुगनू की भी बाइक टैक्सी संचालित हो रही हैं, उन्हें भी जब्त किया जाए। केवल रैपिडो की बाइक टैक्सी क्यों जब्त की गईं।


फैक्ट फाइल


 


-1.5 साल से जारी नहीं हो पा रही कैब पॉलिसी। 


 


-03 हजार से ज्यादा शहर में दौड़ रहीं कैब। 


 


-500 से ज्यादा रैपिडो, ओला व जुगनू कैब कंपनियों की संचालित हो रहीं बाइक टैक्सी ।


 


-7 प्रतिशत बाइक की कुल कीमत का आरटीओ को करना पड़ता है टैक्स जमा।


 


-02 प्रतिशत ज्यादा व्यावसायिक पंजीयन कराने का देना पड़ता है टैक्स।


 


-05 लाख स्र्पए सालाना भोपाल से ही परिवहन विभाग को हो रहा राजस्व का नुकसान।


शासन स्तर पर लागू होनी है कैब पॉलिसी


 


कैब पॉलिसी में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे कैब कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी। शासन स्तर पर कैब पॉलिसी जारी होनी है। जल्द ही लागू होने की संभावना है। 


 


-डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव, परिवहन आयुक्त


मनमानी पर रोक लगाएंगे


 


रैपिडो बाइक टैक्सी के कार्यालय को सील किया है। नियमों को ताक पर रख कर संचालित हो रही बाइक टैक्सियों पर पूरी तरह लगाम लगाएंगे। शिकायत मिलने पर चेकिंग अभियान आगामी दिनों में भी चलाए जाएंगे


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