Header Ads Widget

Responsive Advertisement

मानसरोवर यात्रियों को भारत की ओर से बेहतर सुविधा की


हिंदू तीर्थयात्रियों की आस्था के प्रतीक कैलास मानसरोवर तक जाने के दुर्गम मार्ग पर भारत की ओर से काफी काम करना होगा। दरअसल दूसरी ओर चीन ने पक्की सड़क बनाकर भारत के लिए चुनौती बढ़ा दी है। यात्रियों के लिए अत्याधुनिक आधारभूत संरचनाओं के विकास के बाद चीन अब भारत से भी इसी तरह की आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की उम्मीद कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक तीर्थयात्री कैलास मानसरोवर का दर्शन कर सकें।


फिलहाल, चीन की तरफ लिपुलेख दर्रे के नजदीक तक दो लेन की सड़क बनकर लगभग तैयार है। यहां तक यात्रियों को लेकर सीधी बस पहुंचती है। एक किलोमीटर से कम की चढ़ाई के बाद यात्री लिपुलेख तक पहुंच जाते हैं। वहीं भारत की ओर कैलास मानसरोवर के यात्री काठगोदाम से पिथौरागढ़ जिले के नजंग तक सड़क मार्ग से जाते हैं। नजंग से लिपुलेख तक 59 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई है। इसमें चार दिन लगते हैंनजंग से मालपा, बूंदी तक पहला दिन, बूंदी से छियालेख, गब्यार्ग, गुंजी तक दूसरा दिन, गुंजी से कालापानी तक तीसरा दिन और कालापानी से नाभिढांग लिपुलेख तक चौथे दिन की यात्रा संपन्न होती है। समुद्र तल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदल चढ़ाई में आने वाली दिक्कतों को समझा जा सकता है। मानसरोवर यात्रा के दौरान सुविधाओं की जिम्मेदारी संभालने वाले तिब्बत के प्रांत अली प्रीफेक्चर के डिप्टी कमिश्नर जी किंगमिन काकहना है कि चीन अपनी तरफ से यात्रियों की सुविधाओं को बेहतर करने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। यात्रियों की सुविधा के लिए ऑक्सीजन बूथ लगाने के अलावा चीन सरकार अन्य जरूरतों को पूरा करने में लगी है। भारत को भी यात्रियों की सुविधा के लिए ऐसे ही प्रयास करने चाहिए


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ