मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना की सहायता राशि क्या बढ़ी और गरीबी रेखा (बीपीएल) का बंधन क्या हटा, शादियों की संख्या बढ़ गई। पिछले साल राज्य सरकार ने 44 हजार शादियां कराई थीं और इस बार सात महीने में 42 हजार शादियां कराई जा चुकी हैं, वह भी तब जब विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त अक्षय तृतीया पर सरकार ने शादियां नहीं कराईं। तब प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता प्रभावी थी। सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग का अनुमान है कि इस साल 90 हजार से ज्यादा शादियां होंगी। योजना के तहत नव विवाहिता को 48 हजार रुपए बैंक खाते में दिए जाते हैं और शेष तीन हजार रुपए कार्यक्रम पर खर्च होते हैं।
योजना में पहले बीपीएल का बंधन था और सहायता राशि भी 28 हजार रुपए दी जा रही थी, वहीं बीपीएल का बड़ा बंधन था। इसके तहत सरकारी शादी समारोह में वे ही लोग अपनी बेटी की शादी कर सकते थे, जिनका नाम बीपीएल सूची में हो। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जनता से वादा किया था कि सरकार में आने पर वह इस बंधन को खत्म कर देगी और सहायता राशि 51 हजार रुपए कर दी जाएगी
सरकार ने अपना वादा निभाते हुए बीपीएल का बंधन भी खत्म कर दिया और राशि भी बढ़ा दी। इससे हितग्राहियों की संख्या तेजी से बढ़ गई। विभाग के अफसर बताते हैं कि पिछले साल तक जितने हितग्राही सालभर में योजना का लाभ लेते थे, उतने इस साल सात महीने में ले चुके हैं। ऐसे में राशि का टोटा तो होना ही था। हालात यह हैं कि अकेले राजधानी में साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा राशि हितग्राहियों को देनी है।
सरकार नहीं दे पा रही राशि
तंगहाली के दौर से गुजर रही राज्य सरकार मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना के हितग्राहियों को सहायता राशि नहीं दे पा रही है। पिछले सात माह में प्रदेश में 42 हजार शादियां हुई हैं। इनमें से करीब 20 हजार हितग्राहियों को अभी तक राशि नहीं मिली है। सामाजिक न्याय विभाग ने हितग्राहियों को राशि देने के लिए वित्त विभाग से 1020 करोड़ रुपए की मांग की है।
हमने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है। विभाग ने जल्द राशि देने का भरोसा दिलाया है। जैसे ही राशि मिलेगी, नव विवाहिताओं के बैंक खातों में राशि डाल दी जाएगी। हां यह सही है कि पिछले साल की तुलना में इस बार हितग्राहियों की संख्या बढ़ गई है
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