सरदारपुर (धार)। आदिवासी बहुल सरदारपुर तहसील की तीन बहनों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद फुटबॉल में अपना नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है। मजदूर परिवार में जन्मी तीनों बहनें कई राज्यों में राष्ट्रीय स्पर्धा में शामिल होकर मप्र टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अब तक वे 19 बार राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। तीनों बहनों का सपना है कि वे भारतीय टीम में खेलकर देश का नाम रोशन करें। बाद में प्रशिक्षक बनकर क्षेत्र की बहनों को खेलों में आगे बढ़ाना लक्ष्य है।
गरीब परिवार में जन्मी सरदारपुर में चंचल, रक्षा व स्नेहा खराड़ी फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का लोहा मनवाते हुए माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं। उनके पिता महेश खराड़ी सरदारपुर में ही मजदूरी करते हैं जबकि मां पूनम खराड़ी छात्रावास में रसोइयन हैं। माता-पिता की मेहनत का ही नतीजा है कि तीनों बेटियां पढ़ाई के साथ ही फुटबॉल में कई बार राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का दमखम दिखा चुकी हैं
बड़ी बहन आठ, तो छोटी बहनें सात साल से खेल रही फुटबॉल
बड़ी बेटी चंचल खराड़ी ने वर्ष 2011 से कोच शैलेंद्र पाल के मार्गदर्शन में फुटबॉल खेलना प्रारंभ किया। चंचल कुछ ही समय में फुटबॉल की बारीकियां सीखकर बेहतर खेल का प्रदर्शन करने लगीं। अपने दमदार खेल की बदौलत वर्ष 2012-13 में चंचल का राष्ट्रीय स्पर्धा पुणे (महाराष्ट्र) के लिए चयन हुआ। इसी प्रकार छोटी बहनें रक्षा और स्नेहा 2012 से अपनी बहन के साथ मैदान पर उतरीं। देखते ही देखते तीनों बहनें फुटबॉल में पूरी तरह पारंगत हो गईंबेहतर खेल प्रदर्शन की बदौलत तीनों बहनों ने अलग-अलग स्तर पर राष्ट्रीय स्पर्धा में हिस्सा लिया। गोआ, दिल्ली, पंजाब, कोलकाता, अंडमान निकोबार, तेलंगाना आदि स्थानों पर तीनों बहनें मप्र टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। चंचल खराड़ी ने पांच बार राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लिया। वे दो बार यूनिवर्सिटी में भी खेल चुकी हैं। वर्तमान समय में चंचल हरदा में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण कै म्प में भाग ले रही हैं। छोटी बहन रक्षा खराड़ी आठ बार तथा स्नेहा छह बार राष्ट्रीय स्पर्धा खेल चुकी हैं
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