इंदौर। देशभर की कृषि मंडियों में कमजोर आवक के कारण पिछले एक महीने में प्याज के भाव 50 प्रतिशत से अधिक बढ़े हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश समेत प्रमुख उत्पाक राज्यों में लगातार बारिश के कारण आपूर्ति घटने से फिलहाल मजबूती बने रहने की आशंका है।
इंदौर मंडी में एक महीने पहले प्याज 1,250-1,300 रुपए प्रति क्विंटल था, जो फिलहाल 2,500-2,550 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। रोजाना 150 मोटर से अधिक आवक के बावजूद चौतरफा मांग और महाराष्ट्र की नई फसल में देरी की आशंका से इन दिनों प्याज में तेजी बनी हुई है। उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों, पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल को प्याज की आपूर्ति फिलहाल इंदौर से हो रही है।
नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास संस्थान (एनएचआरडीएफ) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने मुंबई में प्याज के भाव 76 प्रतिशत बढ़कर 22 रुपए प्रति किलो हो गए जो पहले 12.50 रुपए थे। एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी कहे जाने वाली लासलगांव मंडी में 22 अगस्त को भाव एक महीना पहले के मुकाबले 71 प्रतिशत बढ़कर 20.50 रुपए प्रति किलो हो गए। प्यजा में कई वर्षों बाद ऐसी तेजी नजर आई है, लिहाजा इसका फायदा उठाने के लिए किसानों ने आपूर्ति बढ़ाई है।
यही वजह है कि 22 अगस्त को लासलगांव में आवक बढ़कर 2,545 टन हो गई, जो एक महीने पहले 1,500 टन थी। कीमतें ऊंचे स्तर पर जाने के बाद बाजार भागीदारों को सरकार की ओर से दाम नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी), शुल्क मुक्त आयात और बफर स्टॉक जारी करने जैसे हस्तक्षेप का डर सताने लगा है। जून में जब दाम छह रुपए प्रति किलो चल रहे थे, तब सरकार ने 50,000 टन का बफर स्टॉक बनाया था।
सरकारी एजेंसिया सक्रिय
नाबार्ड, नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और मदर डेयरी के सफल के साथ एक बैठक बुलाई गई है। तय किया गया कि सफल में प्याज के खुदरा दाम (ए ग्रेड के लिए) 23.9 रुपए प्रति किलो से अधिक नहीं होंगे। 21 अगस्त को इसके बिक्री केंद्रों पर यही दाम थे। सफल, सरकार से 21 अगस्त वाले भाव पर प्याज लेना जारी रखेगा।
नैफेड और एनसीसीएफ को भी बिक्री केंद्रों और मोबाइल वैन के जरिए सफल वाले भाव पर प्याज की खुदरा बिक्री करने का निर्देश दिया गया है। प्याज की 125 से 150 मोटर आवक पर ऊंचे भाव पर मांग कमजोर बताई जा रही है। स्टॉकिस्टों की बिकवाली नहीं बढ़ने से फिलहाल मामूली गिरावट ही बन पाई है।
भाव बढ़ने के बड़े कारण
-मध्यप्रदेश और कर्नाटक में अधिक बारिश के कारण शुरुआती फसल की कमजोर आवक।
-खरीफ सीजन में सामान्य किस्म वाले प्याज की बुआई में देरी, से फसल उतरने में समय लगेगा।
-महाराष्ट्र और गुजरात में खरीफ में बोई गई फसल को भारी नुकसान और फसल आने में देर।
निर्यात बढ़ा, उत्पादन भी बढ़ेगा
-2018-19 में प्याज का निर्यात 36 प्रतिशत बढ़कर 19 लाख टन हो गया
-वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 14 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।
-कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल प्याज उत्पादन 2.362 करोड़ टन रहेगा।
-पिछले साल देश में कुल 2.326 करोड़ टन प्याज का उत्पादन हुआ था
0 टिप्पणियाँ