2019 जन्माष्टमी पर सालभर में एक बार खुलने वाला बांधवगढ़ का राम-जानकी मंदिर शुक्रवार सुबह खुला। यहां सबसे पहले रीवा रियासत के वंशज व महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव के पोते दिव्यराज सिंह द्वारा पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर उनके साथ परिवार के कई अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। उमरिया बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगने वाले जन्माष्टमी के मेले के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु टाइगर रिजर्व के अंदर बने किले पर दर्शन को पहुंच रहे हैं। सुबह 7 बजे से प्रवेश शुरू हुआ था जो 10 बजे तक जारी रहेगा। दोपहर 2:30 बजे तक वापसी करनी अनिवार्य है, यानी 5 बजे शाम तक टाइगर रिजर्व से सभी को बाहर कर दिया जाएगा।
रीवा रियासत राज्य परिवार के वारिस मार्तंड सिंह जूदेव के पोत्र दिव्यराज सिंह ने कहा कि जन्माष्टमी रात में होती है इसलिए श्रद्धालुओं को रात के समय भी मंदिर में रुकने की अनुमति दी जाए। उन्होंने आशंका जताई कि वन विभाग के लोग मेले को खत्म कर देना चाहते हैं इसलिए समुचित व्यवस्था नहीं जुटाई जातीबांधवगढ़ के किले में प्राचीन प्रतिमाओं का बेशकीमती खजाना भी है। हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं यहां स्थापित हैं, जिनके दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु जन्माष्टमी को यहां पहुंचते हैं। सुबह 9 बजे तक 1000 से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। अनुमान है कि दोपहर 2:30 बजे तक यहां 15 से 20000 लोग पहुंचकर दर्शन कर लेंगेसाल में एक बार खुलता है श्रीराम-जानकी मंदिर : किले में बने श्रीराम-जानकी को साल में सिर्फ एक बार आम भक्तों के लिए खोला गया है। सुबह से ही यहां पूजन का कार्यक्रम शुरू हुआ। जंगल के खतरे को देखते हुए दोपहर बाद मंदिर खाली करा लिया जाता है। किले की सीमा में ही भगवान विष्णु के 12 अवतारों की प्रतिमाएं पत्थरों को तराशकर बनाई गई हैं। इनमें कच्छप स्वरूप और शेष शैया पर आराम की मुद्रा में भी भगवान विष्णु के दर्शन होते हैंमहाराजा मार्तंड सिंह ने रखी थी शर्त : कभी बघेल शासकों की शिकारगाह रहा बांधवगढ़ का जंगल जब टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सौंपा गया, तब महाराजा मार्तंड सिंह ने सरकार के सामने शर्त रखी थी कि किले में लगने वाले मेले की परंपरा को खत्म नहीं किया जाएगा और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को यहां आने से नहीं रोका जाएगा। यही कारण है कि हर साल एक दिन के लिए यहां वन्यजीव एक्ट भी शिथिल हो जाता हैइतिहास और किंवदंती : बांधवगढ़ का नाम यहां मौजूद एक पहाड़ के नाम पर ही रखा गया है। इस पर एक ऐसा किला है जिसका निर्माण करीब दो हजार वर्ष पहले कराया गया था। किंवदंती है कि यह किला भगवान राम ने लक्ष्मण को भेंटस्वरूप प्रदान किया था, इसका नाम बांधवगढ़ यानी भाई का किला है
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