प्रदेश के किसानों को अब खसरा, खतौनी, अक्स सहित अन्य भू-अभिलेखों के लिए तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। राज्य सरकार ये दस्तावेज उन्हें घर बैठे उपलब्ध कराएगी। सरकार ने शहडोल, सीधी, मंदसौर सहित बुधवार से प्रदेश के 21 जिलों में यह सुविधा शुरू कर दी है। किसानों को बस ऑनलाइन आवेदन करना होगा और दस्तावेज घर पहुंच जाएंगे। इसके साथ दस्तावेजों की प्रतिलिपि की दरों में भी कटौती कर दी है। अब ए-4 आकार में नक्शे की प्रति के पहले पृष्ठ के लिए 30-30 रुपए और अतिरिक्त पृष्ठों के लिए 15-15 रुपए का शुल्क देना होगा।
विधानसभा चुनाव से पहले जारी वचन पत्र में कांग्रेस ने किसानों से भू-अभिलेख लेने की प्रक्रिया सरल करने का वादा किया था। सरकार ने वही वादा पूरा किया है। विभाग के अफसरों का कहना है कि किसानों को वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से भू-अभिलेख की प्रतिलिपि दी जाएंगी। किसानों को खसरे में बंधक दर्ज कराने के लिए भी तहसील नहीं जाना पड़ेगा। सरकार ने खसरे में बंधक दर्ज करने के लिए सॉफ्टवेयर में लॉगिन सुविधा सभी बैंकों को दी है। इससे किसान को तहसील जाकर बंधक दर्ज कराने का आवेदन नहीं देना पड़ेगा। नामांतरण, बंटवारा और बंधक के आदेश को खसरे में अमल कर किसान को तत्काल दिया जाएगा।
अभिलेखों में डिजिटल हस्ताक्षर
21 जिलों के लोक सेवा केंद्रों पर बुधवार से डिजिटल हस्ताक्षरित भू-अभिलेख की प्रतिलिपियां (बंधक, दर्ज खसरा, डायवर्सन प्रमाण पत्र) मिलना शुरू हो गया है। भू-अभिलेख प्रतिलिपि के लिए आवेदन ऑनलाइन करना होगा, जो नि:शुल्क रहेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने अगस्त 2019 से प्रतिलिपि की दरों का सरलीकरण भी कर दिया है। अब एक और पांच साल का खसरा या खाता जमाबंदी, अधिकार अभिलेख, खेवट, वाजिब-उल-अर्ज, निस्तार पत्रक और ए-4 आकार में नक्शे की प्रति के पहले पृष्ठ के लिए 30-30 रुपए और अतिरिक्त पृष्ठों के लिए 15-15 रुपए का शुल्क देना होगा।
इन जिलों में सुविधा शुरू
शहडोल, सीधी, मंदसौर, रतलाम, देवास, धार, अनूपपुर, अशोकनगर, आगर-मालवा, श्योपुर, उमरिया, नीमच, निवाड़ी, कटनी सहित अन्य जिले
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