अमेरिका से हाल ही में भारत पहुंचे बेहद घातक अपाचे हेलीकॉप्टर को अब से कुछ ही देर में भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा। पठानकोट एयरबेस पर यह अपाचे हेलीकॉप्टर मौजूद है और मंत्रोच्चार के साथ एक विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। पूजा खत्म होने के बाद यह अपाचे हेलीकॉप्टर वायुसेना का हिस्सा बन जाएंगे।
अपाचे पठानकोट एयरबेस पर पहले से तैनात वायुसेना के MI-35 चॉपर्स की जगह लेगा। इसका निर्माण अमेरिका के एरिजोना में हुआ है। भारत ने अमेरिका के साथ 22 ऐसे हेलीकॉप्टर के लिए अनुबंध किया था
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच वायुसेना आज 4 हेलीकॉप्टर्स को पठानकोट एयरबेस पर तैनात कर रही है। यह एयरबेस पाकिस्तानी सीमा के करीब स्थित है।
एएच 64-ई अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है। इसे अमेरिकी सेना भी इस्तेमाल करती है। वायुसेना ने 22 अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए सितंबर 2015 में अमेरिकी सरकार व बोइंग लिमिटेड के साथ अनुबंध किया था। बोइंग ने 27 जुलाई को 22 हेलीकॉप्टरों में से चार को वायुसेना को सौंप दिए थे
अपाचे की है ये खासियत -
- अपाचे के इस बेहतर वेरिएंट में इंप्रूव्ड डिजिटल आर्किटेक्चर और कनेक्टिविटी दी जाएगी वहीं जॉइंट टैक्टिकल इंफोर्मेशन सिस्टम भी होगा
यह T700-GE-701D इंजन के साथ आएगा जो ड्रोन को कंट्रोल कर सकेगा साथ ही बैहतर लैंडिंग कर सकेगा।
- हेलिकॉप्टर के अगले हिस्से में नाइट विजन सेंसर लगे हैं, जिससे यह रात में भी मार कर सकता है
इसकी अधिकतम रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटा है।
- अपाचे को रडार से पकड़ना बेहद मुश्किल है वहीं इसमें नाइट विजन कैमरा लगा होता है जो दुश्मन की टोह लेता रहता है
इसका सबसे खतरनाक हथियार : 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता है।
- हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30 एमएम की 1,200 गोलियां भरी जा सकती हैं।
- यह बेहद कम ऊंचाई पर उड़कर हवाई हमले के साथ ही जमीनी हमले करने में भी सक्षम है।
- इसमें उन्नत लांगबो रडार भी लगा है जिससे नौसेना के हमले में इजाफा हो सकेगा।
- अपाचे में एजीएम-114 हेलीफायर मिसाइल और हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स भी लगे हैं।
- ये हेलिकॉप्टर अमेरिका के अलावा, ब्रिटेन, इसराइल, नीदरलैंड्स, सऊदी अरब और मिस्र के पास भी हैं
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