प्रदेश में इस साल जमकर बरसात हुई। अगस्त में ऐसा लग रहा था कि 27 में कहीं 12-15 जिले सूखाग्रस्त न हो जाएं। बादल सिर्फ बस्तर संभाग पर मेहरबान थे। बारिश न होने की वजह से सरकार ने भी सभी कलेक्टर से सूखाग्रस्त क्षेत्रों की रिपोर्ट तलब करवा ली थी। मगर इंद्रदेवता की मेहरबानी 30 अगस्त से शुरू हुई है और जबरदस्त बारिश ने आंकड़ों को बदलकर रख दिया।
आज स्थिति यह है कि बीते पांच साल का रिकॉर्ड टूट चुका है। 2019 में 1147 मिमी बारिश हुई है जो पांच साल में सर्वाधिक है। 2012, 13 का रिकॉर्ड भी टूट सकता है, अगर अगले कुछ दिनों में सिस्टम सक्रिय हो जाए तो। बहरहाल संभावना कम है। अभी प्रदेश में गर्मी जैसे हालात बने हुए हैं।
उमस अधिक है, बेचैनी बढ़ी है और पसीना छूट रहा है। रायपुर समेत मध्य छत्तीसगढ़ के जिलों का पारा 31 से 35 डिग्री तक जा पहुंचा है। एसी, कूलर फिर चल पड़े हैं। अगर कुछ और दिन बारिश न हुई तो तापमान 36 डिग्री जा पहुंचेगा। हालांकि अच्छी धूप खिली तो स्थानीय सिस्टम बनेगा और बारिश होगी।
पूर्वानुमान
मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि एक सिस्टम सक्रिय है, जो प्रदेश के बस्तर संभाग में बारिश करवा सकता है।
अभी भी इन जिलों में औसत से कम बारिश
जांजगीर, जशपुर, कोरबा, मुंगेली और सरगुजा। इन जिलों में बारिश के आंकड़ों में सुधार नहीं हो रहा है। सरगुजा में तो 42 फीसद कम बारिश हुई है, यही हाल अन्य जिलों के भी हैं।
इस बार केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग ने जो पूर्वानुमान जारी किए थे, बारिश के आंकड़ा उसके बेहतर रहे हैं। अभी मानसून वापसी में 17-18 दिन और हैं, आंकड़ों में इजाफा हो सकता है। बस्तर संभाग को बारिश ने इस साल खासा प्रभावित किया गया है। यह इसलिए क्योंकि वहां हरियाली है, दूसरा पहाड़ी क्षेत्र है। जो बादलों को रोककर रखते हैं। - एचपी चंद्रा, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानी लालपुर मौसम विज्ञान केंद्र
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