भारत भविष्य में अपने वीआईपी उड़ानों के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत नहीं मांगेगा। कम से कम तब तो नहीं, जब तक दोनों देशों के बीच संबंध सुधर नहीं जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि हम राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की पश्चिमी देशों की यात्रा के लिए वैकल्पिक लंबे रास्ते को चुनेंगे। बताते चलें कि पाकिस्तान ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आइसलैंड जाने के लिए अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को बताया था कि भारत ने राष्ट्रपति कोविंद की आइसलैंड की फ्लाइट के लिए अनुमति मांगी थी। इसे पाकिस्तान ने नामंजूर कर दिया। कोविंद सोमवार से 17 सितंबर तक के लिए आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की यात्रा पर जाने वाले हैं।
एक बार मना कर दिया है, तो कोई कारण नहीं है कि हम उनसे दूसरी बार संपर्क करें। दिल्ली से पश्चिमी देशों की यात्रा के लिए लंबे रास्ते को इस्तेमाल करने का मतलब है कि एक घंटे तक की अतिरिक्त उड़ान भरनी होगी और इसके लिए अतिरिक्त ईंधन की खपत होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि वीवीआईपी फ्लाइट्स के लिए क्लियरेंस देना दुनियाभर में सामान्य राजनायिक प्रक्रिया है। पाकिस्तान सरकार के वीवीआईपी फ्लाइट को क्लियरेंस देने से रोकने के फैसले पर हमें खेद है, जो किसी भी समान्य देश में नियमित रूप से दी जाती है। पाकिस्तान का अपने हवाई क्षेत्र को बंद करना या उससे उड़ान भरने की मंजूरी नहीं देना एक नई घटना है।
कई विदेशी एयरलाइन कंपनियां जो भारतीय नागरियों को बतौर पायलट रखती हैं, वे पाकिस्तान की उड़ानों के लिए भारतीय क्रू को नहीं भेजती हैं। बिग गल्फ कैरियर सहित कई विदेशी कंपनियां इस नीति का पालन करती हैं
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