भारत का चंद्रयान-2 शनिवार को एक बड़ा मुकाम हासिल करेगा और चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। इस लैंडिंग के साथ ही भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा वहीं इसके दक्षिणी हिस्से में उतरने का इतिहास रचेगा। भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें और और अगले चार दिन इसके लिए बेहद अहम होंगे। मंगलवार सुबह 8.50 बजे एक 4 सेकंड का पहला de-orbiting maneuver किया गया जो इसे चांद के और करीब ले जाएगा। इसी तरह का दूसरा de-orbiting maneuver बुधवार को होगा। देश और दुनिया सांसे थामें इन चार दिनों तक चांद पर लैंडिंग का इंतजार करेगी।
सोमवार को दोपहर करीब 1.15 बजे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर "विक्रम" अलग हो गया। पांच दिन बाद जब यह चंदा मामा की अब तक अछूती सतह दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा तब विक्रम में विराजित रोवर "प्रज्ञान" बाहर निकलेगा और वह चंद्रमा पर घूम-घूमकर इसरो के धरती पर स्थित मिशन कंट्रोल को संदेश व चित्र भेजेगा
अब चांद से 119 किमी दूर
इसरो द्वारा जारी बयान के अनुसार लैंडर विक्रम की दूरी अब चांद की दूरी 119 किमी रह गई है और उसकी कक्षा से उसकी दूरी 127 किमी है। लैंडर 7 सितंबर की रात चांद पर उतरेगा। वहीं ऑर्बिटर अपनी मौजूदा कक्षा में एक साल तक चांद के चक्कर लगाता रहेगा। इसका जीवनकाल एक वर्ष का है
द के दक्षिण ध्रुव पर यान उतार भारत रचेगा इतिहास
सात सितंबर शनिवार देर रात यानी रविवार को जब विक्रम चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा तो भारत का नाम अंतरिक्ष इतिहास में दर्ज हो जाएगा। क्योंकि चांद के इस भाग पर अब तक किसी देश ने अपना मिशन नहीं भेजा है। यह अत्यंत दुर्गम व जटिल है
मानो दुल्हन हो गई विदा
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि 978 करोड़ के चंद्रयान-2 मिशन को एक और कामयाबी मिल गई है। उन्होंने कहा कि 7 सितंबर को विक्रम रोवर प्रज्ञान के साथ चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसके साथ ही इस तरह की लैंडिंग कराने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन जाएगा। इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर व लैंडर के सभी सिस्टम अच्छे से काम कर रहे हैं। बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय के एक अधिकारी ने भी कहा कि ऑर्बिटर से विक्रम के अलग होने की प्रक्रिया सफल रही
इसरो के प्रमुख सिवन ने कहा है कि विक्रम के अलग होने की रस्म कुछ वैसी ही होगी, जैसी कि दुल्हन की मायके से विदाई के वक्त होती है। 42 दिन में पाया यह मुकाम22 जुलाई को ओडिशा-आंध्र की सीमा पर स्थित श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 एम-1 से चंद्रयान-2 को लेकर रवाना हुआ था।
उसके 42 दिन बाद 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम को अलग करने की अनंतिम प्रक्रिया पूरी कराई गई। इससे पहले चंद्रयान-2 पृथ्वी व चांद की कई कक्षाओं को पार करते हुए इस मुकाम तक पहुंचा है। अब यह चंद्रमा के अत्यंत करीब पहुंच गया है। शनिवार देर रात को पांचवां व अंतिम मुकाम हासिल करेगा
भारत का दूसरा चंद्र अभियान
यह भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। 2008 में चंद्रयान-1 को भेजा गया था। यह एक ऑर्बिटर मिशन था। इसने करीब 10 महीने चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयाोगों को अंजाम दिया था॥ चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। चंद्रयान-2 से इस दिशा में नए प्रमाण मिलने की उम्मीद है। साथ ही यह वहां खनिजों की उपस्थिति का भी पता लगाएगा
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