मध्यप्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) में अब मरीजों को विशेषज्ञों व सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सलाह भी मिल सकेगी। इसके लिए प्रदेश के सभी पीएचसी को टेलीमेडिसिन से जोड़ने की तैयारी है। यह सुविधा शुरू करने के लिए दो महीने के भीतर टेंडर जारी किया जाएगा। मरीजों को इसकी सुविधा अगले साल मिल सकती है। इस सुविधा से जुड़ने के बाद मरीजों का इलाज भोपाल से 40 डॉक्टरों की टीम करेगी। ओपीडी समय सुबह 9 से शाम 4 बजे के बीच यह सुविधा रहेगी। प्रदेश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू करने की तैयारी है।
उड़ीसा में टेलीमेडिसिन का इस तरह का मॉडल सफल रहा है। इसके बाद मध्यप्रदेश में उसी तर्ज पर टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू करने की तैयारी चल रही है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के अफसरों ने बताया कि भोपाल में सुबह 9 से 4 के बीच 40 डॉक्टरों की टीम बैठेगी। इसमें मेडिकल ऑफिसर व विशेषज्ञ होंगे। कुछ सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के रखने पर भी विचार चल रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि प्रदेश में बिना डॉक्टर वाली करीब 371 पीएचसी में मरीजों को इलाज मिलने लगेगा
इन अस्पतालों में मरीज के पहुंचने पर नर्स भोपाल स्थित टेलीमेडिसिन सेंटर के डॉक्टरों से संपर्क करेंगी। डॉक्टर के बताए अनुसार मरीज की ब्लड प्रेशर, शुगर व अन्य जांचें की जाएंगी। भोपाल से डॉक्टर पूरी जांच व मरीज से जानकारी लेने के बाद दवा लिखेंगे। अस्पताल से फार्मासिस्ट मरीजों को दवाएं देंगे। यह सुविधा शुरू करने के लिए दो महीने के भीतर टेंडर जारी किया जाएगा। चुनी गई एजेंसी टेलीमेडिसिन का पूरा सेटअप लगाएगी। डॉक्टर नियुक्त करेगी। पूरी व्यवस्था पर करीब 100 करोड़ रुपए लगेंगे। साथ ही इतनी ही राशि हर साल टेलीमेडिसिन सुविधा जारी रखने में लगेगी।
हार्ट अटैक, स्ट्रोक व अन्य गैर संचारी रोगों से निपटने में मदद मिलेगी
टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू करने का सबसे बड़ा मकसद गैर संचाारी रोग जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक आदि बीमारियों से मरीजों को बचाना है। साथ ही ओपीडी के वक्त आने वाले इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञों की सेवाएं मिल सकेंगी।
अभी यह व्यवस्था
थमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मेडिकल ऑफिसर की पदस्थापना होती है। इसमें ज्यादातर एमबीबीएस डिग्रीधारी होते हैं। इस वजह से मरीजों को विशेषज्ञ सेवाएं जैसे हड्डी की बीमारी, नाक, कान व गला की समस्याएं, आंख, गायनिक आदि का इलाज नहीं हो पाता। मरीजों को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है।
फेल हो चुकी हैं इसके पहले शुरू की गईं टेलीमेडिसिन सेवा
करीब 10 साल पहले इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन (इसरो) के माध्यम से कुछ जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा गया था। यह सुविधा शुरू होने के करीब छह महीने में ही बंद हो गई थी।
प्रदेश में कुल पीएचसी- 1199
बिना डॉक्टर वाली पीएचसी- 371
एक पीएचसी से जुड़ी आबादी- 30 हजार
एक पीएचसी में रोजना मरीजों की संख्या 150 से 700 तक
टेलीमेडिसिन सेवा शुरू होने से पीएचसी में आने वाले मरीजों को काफी सुविधा हो जाएगी। ओपीडी समय में मरीजों के इलाज के लिए भोपाल में 40 डॉक्टरों की टीम बैठेगी। गैर संचारी रोगों से पीड़ित मरीजों का और बेहतर इलाज हो सकेगा
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