इंदौर। निवेश सेंटीमेंट से आता है और फिलहाल सेंटीमेंट डाउन है। मध्यप्रदेश निवेश का भूखा है। मेरी विदेश के निवेशकों से भी बात हुई। सरकार को चाहिए कि तीन-चार वर्षों में निवेश का सेंटीमेंट डाउन हुआ, उसे वापस लाना चाहिए। सरकार ऐसा फोबिया न बनाए कि 370 खत्म हो गई, अब सब अच्छा हो जाएगा। पाकिस्तान का नाम उपयोग करने से अर्थव्यवस्था या कृषि क्षेत्र का भला नहीं होने वाला।
यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को सीआईआई की लीडरशिप कॉनक्लेव में देश-प्रदेश के प्रमुख उद्योगपतियों के बीच कही। उन्होंने सीआईआई के मंच से वैश्विक व्यापार जगत में आ रहे बदलाव के दौर का उल्लेख करते हुए कहा कि मैंने वाणिज्यिक मंत्री रहते मुक्त व्यापार के दौर की शुरुआत देखी।
तब फ्री-ट्रेड का चैंपियन अमेरिका अब उसका सबसे बड़ा विरोधी है। विश्व में ट्रेड वार नजर आ रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था दबाव में है। भारतीय अर्थव्यवस्था दबाव में है। व्यापार जगत को और हमें बदलावों के अनुरूप ढलना होगा।
धोती वाले किसान को जींस-टी शर्ट वाले में होगा बदलना
मुख्यमंत्री ने प्रति व्यक्ति आय के बजाय डिस्पोजेबल इनकम के फॉर्मूला अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के बिना यह संभव नहीं है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था से ही देश की क्रय शक्ति बढ़ती है। धोती वाले किसान को जींस टी-शर्ट वाले किसान में कैसे बदला जाए, इस दिशा में हमें काम करना है।
उद्योगों का हजारों करोड़ का कर्ज माफ है तो हर कोई तारीफ करता है, लेकिन किसानों के छोटे-छोटे कर्ज माफ करते हैं तो उसकी आलोचना होती है, यह ठीक नहीं है। प्रदेश नई निवेश नीति को आकार दे रहा है। कृषि की समस्या तो नीति बनाकर दूर हो सकती है, लेकिन रोजगार की समस्या सिर्फ नीति बनाने से दूर नहीं होगी।
निवेश जरूरी है, वह विश्वास से आएगा, मांगने से नहीं। अभी स्थिति ये है कि व्यापारी को बाजार पर भरोसा नहीं है। नौकरशाह को व्यापारी पर भरोसा नहीं है और राजनेताओं पर किसी को भी भरोसा नहीं है। निवेशक इसीलिए देश में आना नहीं चाहता।
प्रदेश का डिलिवरी सिस्टम खराब
कॉनक्लेव के उद्घाटन सत्र में बजाज फिनसर्व के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव बजाज ने मुख्यमंत्री से सीधा सवाल किया कि सत्ता के छह महीने में आपने क्या देखा? इस पर मुख्यमंत्री ने बिना हिचक कहा कि गवर्नेंस का अलग अंदाज दिखा। प्रदेश में योजनाएं तो बहुत थीं, लेकिन डिलिवरी सिस्टम बहुत खराब था।
अगले महीने होने वाली इन्वेस्टर्स समिट 'मैग्निफिसेंट एमपी" में हम एमओयू साइन नहीं करेंगे। बीते साल में जितने एमओयू साइन हुए, उससे ज्यादा तो उद्योग बंद हो गए। हम ऐसा निवेश चाहते हैं जो रोजगार पैदा करे। प्रदेश के उद्योगपति और व्यापारी ही हमारे प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर है। आपसे उम्मीद है कि आप हमें सुझाव दें और झगड़ा भी करें। आप ही प्रदेश की वकालत करेंगे, तब बाहर के लोग यहां आएंगे।
चुने जाने वालों की क्षमता देखने पर भी देना होगा ध्यान
मुख्यमंत्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए यह भी कहा कि भारतीय लोकतंत्र की अनोखी बात है कि कुछ भी होता है तो लोग सरकार की ओर देखते हैं। एक बात ये भी है कि इस लोकतंत्र में किसी व्यक्ति की चुनाव जीतने की क्षमता देखी जाती है, न कि उसकी व्यक्तिगत क्षमताएं। उदाहरण देखिए कि एक ही समय में डॉ. मनमोहन सिंह चुनाव हारते हैं और फूलनदेवी कहीं से सांसद चुनी जाती हैं। लोकतंत्र में हमें चुने जाने वालों की क्षमता देखने पर भी ध्यान देना होगा।
0 टिप्पणियाँ