इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए 13 वकीलों को जज नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि इसमें से 10 वकील न्यूनतम आय की अहर्ता को पूरा नहीं करते हैं, जो उच्च न्यायिक व्यवस्था में नियुक्ति के लिए अनिवार्य है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जहां सभी लंबित नियुक्तियों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को याद दिला चुके हैं। मगर, सरकार ने उन उम्मीदवारों की नियुक्तियों की रोक का फैसला किया है, जो पात्रता के मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में कम से कम 13 नियुक्तियों को सरकार ने लंबित कर रखा है। इनमें से 10 उम्मीदवार न्यूनतम आय के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। सरकार ने तीन अन्य वकीलों को जज के रूप में नियुक्त करने से भी रोक दिया है, जबकि वे इस पात्रता को पूरा करते हैं। बताते चलें कि हाई कोर्ट का जज बनने के लिए कोलेजियम की सिफारिश से पहले वकील को बीते पांच साल में कम से कम सात लाख रुपए की नेट वार्षिक आय होनी चाहिए।
कोलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए तीन वकीलों की वार्षिक आय 4 से 4.5 लाख रुपए वार्षिक थी। वहीं, अन्य की वार्षिक आय सात लाख रुपए सालाना से कम थी, लिहाजा उन्हें नियुक्तियों के लिए अयोग्य कर दिया गया।
बताते चलें कि जिन वकीलों को जज बनाने की सिफारिश कोलेजियम ने की थी, उसमें सर्वोच्च न्यायालय के एक का साला, हाईकोर्ट के पूर्व जज का बेटा और अन्य लोग शामिल थे। इसने केंद्र सरकार के लिए प्रक्रियात्मक समस्या पैदा कर दी थी। कोलेजियम में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस बोबडे ने इन वकीलों की वार्षिक आय को नजरअंदाज कर इस साल 12 फरवरी को उनकी पदोन्नति की सिफारिश की थी
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