मौजूदा दौर में फाइनेंस और टेक्नोलॉजी एक-दूसरे के पूरक हैं। फिनटेक शानदार बिजनेस बन गया है। इसमें इंश्योरटेक शामिल है, जिसका उद्देश्य टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ग्राहकों की सहूलियतें बढ़ाना है। लेकिन, इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। मसलन, कोई इंश्योरेंस प्रोडक्ट खरीदते समय दी गई जानकरियों का गलत इस्तेमाल और अनजाने में गलतपॉलिसी खरीद लेना।
ग्राहकों को ये सावधानियां बरतने की जरूरत
हैकरों से बचें - ऑनलाइन काम करते समय संबंधित कंपनी या संस्था के साथ कुछ जानकारियां साझा करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सूचनाएं हैक होने का खतरा बना रहता है। पर्सनल आईडेंटिफाईएबल इंफॉर्मेशन (पीआईआई) काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी होती है। बिमाधारक के लिए इस जानकारी कि सुरक्षा और नियमित देखभाल पक्का करना जरूरी है। कंपनी की वेबसाईट को ब्राऊजर के एड्रेस बार पर टाईप करें और ना कि ईमेल में आई लिंक से। यह जरूरी है कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने से पहले आपके स्मार्टफोन, लैपटॉप या डेस्कटॉप में सिक्योरिटी सॉफ्टवेअर इंस्टॉल हो। इसके लिए एंटीवाईरस प्रोटेक्शन और एंटी स्पाईवेअर सॉफ्टवेअर इंस्टॉल करें।
इंटरनेट का सुरक्षित इस्तेमाल करें - ग्राहकों को पीआईआई किसी के साथ शेअर करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। खास तौर पर तब, जब वे असुरक्षित इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हों, जब हॉटस्पॉट, लॉग या और कोई भी वैयक्तिक जानकारी भेज रहें हो तो यह पक्का कर ले कि वेबसाईट पूर्ण रूप से एन्क्रिप्टेड हो (वेबसाईट की शुरुआतएचटीटीपीएस है या नहीं इसकी जांच जरूर कर लें) अपने अकाउंट पर अधिक समय साइंड-इन न रहें। यदि आप वाईफाई या हॉट स्पॉट से ऑनलाइन अकाउंट चेक करते हैं तो वर्च्युअल प्राईवेट नेटवर्क (वीपीएन) का प्रयोग करें।
पर्सनल कंसेंट - ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदते समय ग्राहकों की पर्सनल कंसेंट जरूरी होती है। बीमा आए दिन खरीदने की चीज नहीं होती। यह काफी वैयक्ति होती है, जो कभी-कभार (साल-दो साल में एक बार) खरीदी जाती है। डिफॉल्ट क्लिक 'आई हैव रेड द टर्म्स एंड कंडीशन' (टीएंडसी) एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज होता है। इसलिए पॉलिसी खरीदने के लिए लॉग-इन या साइन-अप करने से पहले उन्हें ठीक से पढ़ें। अपनीं वैयक्तिक जानकारी के लिए 'टीएंडसी एप्लाईड' को जरूर ठीक से पढ़ लें।
पॉलिसी को समझें - जब आप किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सीधे कोई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं, तब उस प्रोडक्ट की जानकारी आपको दी जाती है। उसे ठीक से पढ़ें और पक्का कर लें कि वह पॉलिसी आपकी जरूरतों के हिसाब से हो। कई बार वेबसाईट पर ऐसे स्मार्टबॉट्स और एप होते हैं, जहां आपकी जरूरत के अनुसार समस्याओं का समाधान किया जाता है। उन एजेंट्ससे बात करें। ऐसा करने पर बुरे सरप्राईजेज से बचने में मदद मिलेगी।
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