मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली नदी मां नर्मदा के पौराणिक महत्व और सांस्कृतिक मूल्यों को देखते हुए इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कराने की तैयारी है। कमलनाथ सरकार ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है और चयन के लिए यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर को भेजा जा रहा है। अब तक जो प्रक्रिया हुई है, उससे अनुमान है कि नवंबर में यूनेस्को की टीम को मध्यप्रदेश सरकार नवंबर में नर्मदा नदी के अवलोकन के लिए आमंत्रित कर सकती है।
सरकार यदि इस प्रयास में सफल हो गई तो नर्मदा की स्वच्छता से लेकर उसके आसपास के विकास की सारी बागडोर यूनेस्को की टीम के हाथों में होगी। इसकी डीपीआर तैयार करने का काम भी यूनेस्को के विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में अब तक मप्र से खजुराहो, सांची के स्तूप और भीमबैठिका को शामिल किया जा चुका है।
दुनिया की अजीबोगरीब और बेहतरीन प्राकृतिक-गैर प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहरों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया जाता है।यूनेस्को द्वारा चिन्हित इन जगहों को वर्ल्ड हेरिटेज फंड भी मिलता है। फिलहाल देश में अब तक किसी भी नदी को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त नहीं है, लेकिन दक्षिण अमेरिका स्थित अमेजन बेसिन के बड़े भू-भाग को इसमें शामिल किया गया है, जिसमें कुछ नदियां और अन्य जलस्रोत शामिल हैं, इनमें विलक्षण जीवजंतु पाए जाते हैं।
सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है मुख्य आधार
वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किए जाने के लिए नर्मदा नदी के सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व को मुख्य आधार बनाया गया है। हिंदू धर्म में नर्मदा को विशेष स्थान दिया गया है। रेवा कही जाने वाली इस नदी का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कंद पुराण के रेवाखंड में किया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसका नामकरण 'नर्मदा" किया था। सभी देवता, ऋषि-मुनि आदि ने नर्मदा तट पर ही तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त कीं। नर्मदा के दक्षिण तट पर सूर्य द्वारा तपस्या का उल्लेख पुराणों में है, जहां आदित्येश्वर तीर्थ स्थापित है।
राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा ने तैयार किया प्रस्ताव
मां नर्मदा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने का प्रस्ताव राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने तैयार कर मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपा है। तन्खा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के महाधिवक्ता भी रह चुके हैं। नईदुनिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि यूनेस्को की टीम नवंबर में भ्रमण को आ सकती है। यदि वे सहमत होते हैं तो फिर नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर भड़ूच तक इसकी स्वच्छता बनाए रखने से लेकर सारे घाटों के विकास का प्लान भी यूनेस्को की टीम द्वारा ही किया जाएगा। इसका वह भूभाग जहां जीवाश्म और अन्य प्राकृतिक संरक्षण की आवश्कता होगी, वह भी संरक्षित क्षेत्र होगा।
अवैध खनन पर लग जाएगी रोक
मां नर्मदा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला तो अवैध खनन की समस्या भी दूर हो जाएगी। इसके बाद रेत का खनन सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के मुताबिक ही किया जा सकेगा।
नर्मदा को मिला जीवित इंसान का दर्जा तो दिया पर अमल नहीं
मई 2017 में मध्य प्रदेश विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में नर्मदा नदी को जीवित इकाई के रूप में वैधानिक अधिकारों के संरक्षण का शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया था। तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट द्वारा इसकी मंजूरी भी दी गई थी पर नर्मदा के संरक्षण की दिशा में इस पर कोई अमल नहीं हुआ।
पौराणिक महत्व से छेड़छाड़ न हो : गिरीशानंद
मां नर्मदा के संरक्षण में लगे स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हम सभी का यह प्रयास है कि नर्मदा स्वच्छ रहे, निर्मल रहे और अविरल रहे। यदि वर्ल्ड हेरिटेज साइट में इसे शामिल किया जाता है तो यह ध्यान रखना होगा कि उसके पौराणिक महत्व से छेड़डाड़ न की जाए। चाहे पानी का दोहन हो या रेत का खनन, उतनी ही मात्रा में हो कि मां नर्मदा के अस्तित्व पर संकट न आए। ज्यादा दोहन से कई जगह नर्मदा की धारा भी टूटने लगी है जो चिंताजनक है। नदी में प्रतिमा विसर्जन से लेकर प्रदूषण फैलाने पर तो तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए ।
नर्मदा की स्थिति पर भी श्वेत पत्र लाया जाए
मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता जलपुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं कि मां नर्मदा को ग्लोबल हेरिटेज का दर्जा देने की पहल स्वागत योग्य है। इससे विकास के नाम पर नदी से छेड़छाड़ नहीं हो पाएगी। भविष्य के लिए यदि नदी के अधिकारों का संरक्षण करना है तो सरकारों को गंभीर होना चाहिए। मां गंगा की तरह नर्मदा की वास्तविक स्थिति को लेकर श्वेत पत्र भी लाना चाहिए।
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