सुरगांव बंजारी से चारवा के बीच शुक्रवार सुबह 7.20 बजे टैक पर चेकिंग कर रहे चाबीदार अरविंद जयपाल सिंह को खंभा नंबर 597 के पास पटरी टूटी हुई दिखी। दूसरे छोर से आ रही काशी एक्सप्रेस को दुर्घटना से बचाने के लिए क्षतिग्रस्त ट्रैक के आगे लाल कपड़ा बांधा और दौड़ लगा दी।
करीब सवा किमी आगे जाकर उसने पटरी पर डेटोनेटर रख दिया। 70 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से आ रही काशी एक्सप्रेस के दबाव से जैसे ही डेटोनेटर फटा तो लोको पायलट ने ट्रेन रोक दी। चाबीदार की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।
सुबह 7.40 बजे अचानक ट्रेन के ब्रेक लगने से यात्री घबरा गए और ट्रेन से उतर गए। चाबीदार ने पटरी टूटने की सूचना रेलवे अधिकारियों को दी। इसके बाद ट्रैक पर मेंटेनेंस कराया गया। चाबीदार अरविंद की हिम्मत और बुद्धिमानी की रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रशंसा की है। इस कार्य की जानकारी भोपाल मंडल को भी दी गई है।
क्षतिग्रस्त ट्रैक से 800 मीटर पहले रुकी ट्रेन। टूटी पटरियों में था करीब दो इंच का गैप। डेटोनेटर फूटने पर ट्रेन क्षतिग्रस्त ट्रैक से करीब 800 मीटर पहले रुकी। घटना के बाद करीब एक घंटे तक बंद रहा ट्रैक। सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक कॉशन ऑडर पर 10 किमी की गति से निकाली ट्रेनें। दोपहर 12 बजे के बाद नियमित हो सका ट्रेनों का संचालन।
चाबीदार सहित अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को दुर्घटना के अंदेशे में क्या करना चाहिए, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। चाबीदार के पास लाल कपड़ा और डेनोनेटर रहते हैं। लाल कपड़ा खतरा दर्शाने के लिए ट्रैक पर लगाया जाता है। लोको पायलेट को खतरे की सूचना देने के लिए डेटोनेटर पटरी पर रखा जाता है, जो ट्रेन के दबाव से फटता है। डेटोनेटर एक तरह का पटाखा होता है, जिसका निर्माण रेलवे खुद करता है
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