मथुरा।भगवान श्रीकृष्ण की प्रिया राधा के जन्मोत्सव पर बरसाना की छटा बेहद खूबसूरत नजर आ रही है। बृषभानु दुलारी के जन्मोत्सव पर मंदिर में बधाइयां गाई जा रही हैं। राधे-राधे की गूंज के साथ ही आस्था सैलाब ब्रजभूमि में बह रहा है। अपनी विशालता पर इठलाता ब्रह्मांचल पर्वत राधानाम के भक्ति के अथाह समंदर में डूब सा गया है। वैसे तो कीरत रानी के महल में राधा का जन्मोत्सव शुक्रवार सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में मनाया जाएगा, लेकिन उनके जन्म की खुशी में सराबोर होने के लिए देश दुनिया से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार सुबह से ही शुरू हो गया।
शाम को बरसाना और नंदगांव का गोस्वामी समाज राधारानी के निज महल में पहुंच गया। समाज गायन में बधाई गीतों का दौर प्रारंभ हो गया। चाव चढ़ाने की रस्म अदायगी की गई। शहनाई की मंगल धुनें गूंजने लगीं। बधाई देने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी। बरसाना की गलियों में सखी रूप धरे श्रद्धालु खुशी में नाच रहे हैं। जगह-जगह मंगल गीत गाए जा रहे थे।
देर रात तक पूरा बरसाना राधारानी के जन्मोत्सव की खुशी में डूबा हुआ था। बृषभानु नंदनी भाद्रमास की शुक्लपक्ष अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र तथा मूल नक्षत्र में जन्म लेंगी। मूल नक्षत्र में जन्म लेने से राधारानी की मूल शांति के लिए सेवायत रात्रि दो बजे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। मूल शांति के लिए 27 कुंओं का जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 तरह की औषधि, 27 मेवा, सोने चांदी की मूल-मूलनी तथा कांस्य के बने तेल के छाया पात्र के साथ हवन आदि करते 27 ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार से बृषभानु नंदनी का मूल शांत कराया जाएगा।
इसके बाद दूध, दही, शहद, बूरा, इत्र, घी, गुलाब जल, यमुना जल, गोघृत, पंच मेवा ,पंच नवरत्न, केसर आदि से श्रीविग्रह का अभिषेक कराया जाएगा। अभिषेक के बाद शुक्रवार सुबह करीब चार बजे बृषभानु नंदनी अपने श्याम सुंदर के साथ सोने-चांदी से जड़ित शीशमहल से भक्तों पर कृपा बरसाएंगी। लाडली जी मंदिर के सेवायत रासबिहारी गोस्वामी ने बताया कि यह शीशमहल साल में सिर्फ एक बार राधाष्टमी महोत्सव के दौरान ही निकलता है। शीशमहल करीब 62 वर्ष पुराना है
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