हाल ही में सेन फ्रांसिस्को की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि कई लोग 'एडवांस्ड स्लीपर्स' होते हैं। एडवांस्ड स्लीपर्स संज्ञा उन लोगों के लिए उपयोग में लाई जा रही है जो रात को सोने के लिए बहुत जल्दी बिस्तर पर चले जाते हैं और सुबह बहुत जल्दी उठ जाते हैं।
एडवांस्ड स्लीप फेज वह है जबकि लोग तय समय से पहले ही नींद के आगोश में चले जाते हैं। सामान्यतः कुछ लोग रात 8 बजे ही सो जाते हैं। ये लोग अपनी नींद पूरी करके सुबह 4 से 5 के बीच जाग भी जाते हैं। ऐसा मानना रहा है कि इस तरह जल्दी सोकर जल्दी जागने वाले एडवांस्ड स्लीपर्स बहुत कम संख्या में होते हैं लेकिन नया अध्ययन बताता हैकि ऐसा नहीं है बल्कि इनकी संख्या अधिक भी हो सकती है।
प्रकाशित नए अध्ययन से हर 300 लोगों में से एक व्यक्ति 'एडवांस्ड स्लीपर' होता है। इस तरह के लोगों में उनकी सरकार्डियन रिद्म के अनुरूप नींद वाला हारमोन मेलेटोनिन जल्दी ही रिलीज होने लगता है। यही कारण है कि उन्हें नींद का अनुभव होता है और रात्रि भोजन के बाद वे सोने के लिए चले जाते हैं और सुबह के नाश्ते के समय से बहुत पहले ही जाग जाते हैं।
वे लोग जो सुबह जल्दी उठने के लिए बहुत कोशिश करते हैं उनके मुकाबले एडवांस्ड स्लीपर्स सुबह जल्दी जागने के बाद भी पर्याप्त सहज नजर आते हैं और पूरा दिन सक्रिय बने रहते हैं। हालांकि एडवांस्ड स्लीपर्स होने के कुछ नुकसान भी हैं जैसे ये लोग शाम या रात्रि को होने वाले आयोजनों में भागीदारी नहीं कर पाते हैं। इनकी दिनचर्या ही दूसरों से अलग रहती है क्योंकि जब ये जल्दी जागते हैं तब दूसरे लोग सो रहे होते हैं और जब ये सोने चले जाते हैं तब दूसरे लोग जाग रहे होते हैं।
रिसर्चर्स नेसामान्य और एडवांस्ड स्लीपर्स के बीच कुछ अलग अंतर तलाशे हैं। उन्होंने बताया कि एडवांस्ड स्लीपर्स को दिन में बहुत ज्यादा नींद की जरूरत नहीं होती है क्योंकि उनकी रात्रि की नींद बहुत ही अच्छी होती है। इसके अलावा सामान्य रूप से लोग सुबह उठने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं लेकिन एडवांस्ड स्लीपर्स को इस तरह के अधिक प्रयास नहीं करने होते हैं और वे अक्सर ही समय पर उठ जाते हैं।
इस अध्ययन में एडवांस्ड स्लीपर्स उन्हें माना था जो रात्रि में 8.30 से पहले हर हाल में सो जाते हैं और सुबह 5.30 से पहले जाग जाते हैं। स्वाभाविक रूप से देखा जाए तो यही हमारी नींद का चक्र होता है। व्यक्ति की नौकरी या उसका सामाजिक मेलजोल चाहे जो हो लेकिन उसे बिना नींद की दवा लिए इस समय सोना चाहिए। अगर 30 वर्ष की उम्र से पहले ही इसे आदत के तौर पर अपनाया जाता है तो इसके बहुत फायदे हासिल होते हैं।
रात को जागने वालों में नींद की कमी
इस अध्ययन से जुड़े नींद विशेषज्ञ कहते हैं कि जो लोग सुबह 7 बजे तक घर के कंप्यूटर पर कुछ काम करते रहते हैं उनकी नींद ठीक ढंग से पूरी नहीं हो पाती है और उन्हें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़तीहै। इस तरह के लोग सुबह दफ्तर जाते हुए अपने भीतर उत्साह की कमी पाते हैं।
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