पूरे देश में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल खरीदने वाले मध्य प्रदेश की जनता को फिलहाल राज्य सरकार से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री ने साफ कर दिया है कि टैक्स में किसी तरह की कमी नहीं होगी। कांग्रेस सरकार ने बीती भाजपा सरकार के कामकाज को इसकी वजह करार दिया है। मंत्री का कहना है कि बीती सरकार ने प्रदेश को ऐसी स्थिति में लाकर छोड़ा था, जहां से टैक्स में कमी करने की गुंजाइश ही नहीं है। हालांकि राज्य ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का समर्थन भी कर रहा है।
मप्र में बिक रहा पेट्रोल-डीजल सबसे महंगा है। यहां पेट्रोल पर करीब 28 प्रतिशत वैट, 1 प्रतिशत सेस के साथ 3.50 रुपए प्रति लीटर सरचार्ज लग रहा है। डीजल पर 18 प्रतिशत वैट, 1 प्रतिशत सेस और 2 रुपए प्रति लीटर सरचार्ज लग रहा है। प्रदेश शासन को हर साल करीब 1500 करोड़ की कमाई ईंधन पर लगाए टैक्स से हो रही है। वर्षों से प्रदेश में ईंधन पर टैक्स कम किए जाने की बातें हो रही है लेकिन राहत की घोषणा नहीं। इंदौर आए वाणिज्यिक कर मंत्री ब्रजेंद्रसिंह राठौर ने साफ कहा कि बीती भाजपा सरकार ने प्रदेश पर पौने दो लाख करोड़ का कर्ज छोड़ा है। भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण प्रदेश की ऐसी आर्थिक स्थिति हो चुकी है। इन सबके बीच प्रदेश सरकार को जनता से किए वादे भी पूरे करने हैं, जनहितैषी योजनाएं लागू करनी हैं। विकास भी करना है।
ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का समर्थन करेंगे
मंत्री का कहना है कि यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो हम समर्थन करेंगे। केंद्र सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए। डीजल-पेट्रोल जीएसटी के दायरे में आता है तो आम लोगों को फायदा होगा। मंत्री ने कहा, मेरा बस चले तो मैं आज ईंधन को जीएसटी के दायरे में ले आऊं लेकिन यह केंद्र का विषय है। ड्रायफ्रूट पर लगाए मंडी टैक्स पर राठौर ने आश्वासन दिया कि प्रदेश के कृषि मंत्री युवा हैं उन्हें जितनी चिंता किसानों की है उतनी व्यापारियों की भी। वे सही निर्णय लेंगे आप इंतजार करिए
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