भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का चांद से महज 2.1 किमी पहले इसरो से संपर्क टूट गया। हालांकि, उम्मीदें अब भी कायम हैं लेकिन मनचाही लैंडिंग ना होने के बाद वैज्ञानिकों के चेहरे पर नजर आई मायूसी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उनका हौंसला बढ़ाया।
इसके बाद प्रधानमंत्री एक बार फिर से इसरो के उन वैज्ञानिकों के बीच पहुंचे हैं और अपने संबोधन की शुरुआत भारत माता की जय के साथ करते हुए कहा कि आप वो लोग हो जो भारत माता की जय के लिए जीते हो। आप मां भारती के यश के लिए जीते हो।
आज हमारे रास्ते में भले ही आखिरी कदम पर रुकावट आई हो लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं है। आज भले ही हम चंद्रमा की सतह पर हमारी योजना के अनुसार नहीं जा पाए। अगर कोई कवि या साहित्यकार को इस घटना पर लिखना होगा तो जरूर लिखेगा कि हमने चांद के प्रेम पर इतना लिखा है कि चंद्रयान भी चांद को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा।
आज चंद्रमा को गले लगाने की हमारी इच्छाशक्ति और मजबूत हुआ है और दृढ़ हुआ है। मेरे भाईयों और बहनों, पिछले कुछ घंटों से पूरा देश जाग रहा है उन वैज्ञानिकों के समर्थन में जो देश के सबसे महत्वकांक्षी मिशन पर काम कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप रुकावटों से हौंसला और भी मजबूत होगा। बेहतरीन आना अभी तो बाकि है। हम फिर उठ खड़े होंगे और सफलता की नई ऊंचाई को छुएंगे। अपने वैज्ञानिकों को मैं कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है। आप असाधाराम लोग हो जिन्होंने इस देश के विकास में योगदान दिया है। आप मक्खन पर लकीर खीचने वाले नहीं बल्कि पत्थर पर लकीर बनाने वाले हो।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारे गौरवशाली इतिहास में कुछ ऐसे पल आए जिन्होंने हमारी रफ्तार कम की लेकिन हमारे जज्बे को नहीं तोड़ सके। हम हर बार लौटकर आए और ज्यादा ऊंचाई तक गए। यही कारण है कि हमारी सभ्यता सबके बीच ऊंची है। आज मैं कह सकता हूं कि आपकी कोशिश दमदार थी और इतनी ही दमदार यह यात्रा थी। हमारी टीम ने काफी मेहनत की, लंबी यात्रा की है, यह शिक्षा हमारे साथ हमेशा रहेगी। आज की सीख हमें और मजबूत बनाएगी
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