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Under Graduation Course : स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि तीन से बढ़कर हो सकती है चार साल


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) देश के सभी विश्वविद्यालय में संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि तीन साल से बढ़ाकर चाल साल किए जाने पर विचार कर रहा है। इस चार साल की अवधि के पाठ्यक्रम के बाद छात्र सीधे पीएचडी कर सकेंगे। इसके लिए स्नातकोत्तर होना अनिवार्य नहीं रहेगा। इसकी पुष्टि यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने की है।


विश्वविद्यालयों में वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल का और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है। इसके बाद ही किसी छात्र को पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है। दरअसल यूजीसी देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है। इसके लिए यूजीसी ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। इसी कमेटी ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए यूजीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें ही ऐसी कई सिफारिशें की गई हैं


स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे साल में शोध को केंद्र में रखा जा सकता है। वहीं इस दौरान विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाने की छूट भी मिलेगी। इसके अलावा अगर कोई छात्र चार साल का स्नातक पाठ्यक्रम करने के बाद पीएचडी के बजाए स्नातकोत्तर करना चाहता है तो उसे ऐसा करने की छूट मिलेगी। वर्तमान में तकनीकी शिक्षा के बैचलर ऑफ टेक्नॉलॉजी (बीटेक) या बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम हैं। उनके बाद छात्र सीधे पीएचडी में प्रवेश ले सकते हैं।


शिक्षा नीति में बदलाव के पहले गठित कमेटी ने रिपोर्ट में स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि तीन साल से बढ़ाकर चार साल किए जाने की सिफारिश की है। इसके अलावा भी कमेटी ने कई सिफारिशें की हैं। हर सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह नीति देश को नई दिशा देने वाली होगी। इस वजह से इसके हर बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जाएगा। नई नीति अगले साल से लागू की जा सकती है। - प्रो. डीपी सिंह, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग


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