भोपाल। निजी अस्पताल, क्लीनिक समेत सभी चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टर व अन्य स्टाफ द्वारा इलाज में लापरवाही करना भारी पड़ सकता है। इलाज में लापरवाही से किसी मरीज की मौत होने पर 3 से 5 साल तक सजा और 1 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना हो सकता है। इसी तरह से अगर इलाज में लापरवाही होने पर मरीजों को गंभीर नुकसान होता है तो एक से दो साल तक की सजा और एक से 10 लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।
नर्सिंग होम्स व क्लीनिकों पर नियंत्रण के लिए मप्र क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट नियामक आयोग बनाया जाएगा। यह सब प्रावधान प्रस्तावित मप्र क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) में किए गए हैं। यह जल्द ही बिल को विधानसभा में पेश करने की तैयारी हैमप्र में सभी मान्य पैथियों के चिकित्सा केंद्रों पर निगरानी के लिए अभी 1973 में बना नर्सिंग होम एक्ट लागू है। केंद्र ने 2011 में क्लीनिक एस्टेबलिशमेंट एक्ट बनाया है। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इस एक्ट और नर्सिंग होम एक्ट के प्रावधानों को मिलाकर नए एक्ट का ड्राफ्ट बनाया है। विधानसभा से पारित होने के बाद यह एक्ट लागू हो जाएगा। गड़बड़ी रोकने के लिए प्रस्तावित एक्ट में जुर्माने का भारी-भरकम प्रावधान किया जा रहा है। बिना पंजीयन के लिए अस्पताल व क्लीनिक संचालित होने पर एक लाख रुपए तक जुर्माना होगा। निर्देशों का पालन नहीं करने पर 10 लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकेगा
निजी अस्पताल व क्लीनिकों पर निगरानी के लिए पहली बार बनाए जा रहे नियामक आयोग के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव व तीन जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके सदस्य होंगे। चिकित्सा केंद्रों के लिए इलाज व संसाधन संबंधी मापदंड तैयार करने का काम यह आयोग करेगा।
ड्राफ्ट तैयार किया हैक्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसमें जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है। पुराने एक्ट की अन्य कमियों को भी दूर करने की कोशिश की गई है
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