अब मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा और उत्पीड़न संबंधी मामलों की विवेचना में देरी या लापरवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंड भुगतना पड़ेगा। इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार अब ऐसे पुलिसकर्मियों को या तो विभागीय जांच से गुजरना पड़ सकता है या फिर वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में अब उन्हें दंडित भी कर सकते हैं।
मैदानी आईजी को परिपत्र जारी कर निर्देश दिए
पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह ने इस संबंध में सभी मैदानी आईजी को परिपत्र जारी कर निर्देश दिए हैं। इस परिपत्र में कहा गया है कि विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्परता से विवेचना पूरी कर न्यायालय से निराकरण कराने पर जोर दिया जाए। निश्चित समय सीमा में विवेचना पूरी की जाए
पुलिस अधिकारी को जिले के एसपी से अनुमति लेना होगी
पुलिस महानिदेशक विजयकुमार सिंह ने इस मामले में दिए गए स्थायी निर्देश में कहा है कि महिलाओं संबंधी आपराधिक प्रकरण की विवेचना तीन महीने से आगे जारी रखने के लिए विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी को जिले के एसपी से अनुमति लेना होगी। ऐसा हर मामले में करना होगा
अनुमति एक बार में ज्यादा से ज्यादा एक महीने बढ़ाने निर्देश
मगर पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह ने स्थायी आदेश में एसपी की सीमा तय करते हुए उसे इस तरह की अनुमति एक बार में ज्यादा से ज्यादा एक महीने बढ़ाने निर्देश दिए हैं। एसपी ऐसी विवेचना अवधि अनुमति बढ़ाने का आदेश भी अधिकतम तीन बार दे सकेगा
डीआईजी भी दो-दो महीने की तीन बार ही अनुमति दे सकेगा
उल्लेखनीय है कि इस मामले में तीन महीने से ज्यादा विवेचना चलने पर रेंज के डीआईजी को अधिकारी दिए गए हैं लेकिन डीआईजी भी दो-दो महीने की तीन बार ही अनुमति दे सकेगा। अगर महिला उत्पीड़न के किसी मामले की एक साल में भी विवेचना पूरी नहीं होती है तो फिर उसे जारी रखने के लिए जोन के आईजी को अधिकारी दिए गए हैं।
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