प्रदेश में दुग्ध शीतगृहों से डेयरी प्लांट तक दूध सप्लाई के दौरान चोरी और मिलावट रोकने के लिए सरकार अब टैंकरों को 'इलेक्ट्रानिक लॉक' से बंद करने की योजना बना रही है। टैंकरों पर जीपीएस के साथ पासवर्ड से खुलने वाले इलेक्ट्रानिक लॉक की व्यवस्था लागू करने के लिए राज्य शासन ने सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के साथ चर्चा की है।
प्रदेश में राजधानी भोपाल सहित इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर एवं सागर में बुंदेलखंड दुग्ध संघ के माध्यम से विभिन्न जिलों में दूध प्रदाय किया जाता है। दुग्ध संघ के पांचों प्लांट से प्रतिदिन 11 लाख लीटर से अधिक दूध प्रोसेस किया जाता है। इसके पहले यह दूध दुग्ध समितियों के जरिए शीतगृहों में एकत्र किया जाता है, फिर टैंकरों के माध्यम से संबंधित दुग्ध संघ प्लांट को भेज दिया जाता है। प्लांट तक पहुंचने के पहले टैंकरों से दूध चोरी होने एवं उसमें मिलावट की शिकायतें कई बार आ चुकी हैं।
प्रारंभिक दौर की हुई चर्चा, अभी अंतिम निर्णय होना बाकी
बीएसएनएल के मुख्य महाप्रबंधक महेश शुक्ल ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य सरकार दूध के टैंकरों में इस तरह के डिवाइस लगाना चाहती है, ताकि शीतगृह से चलने के बाद प्लांट तक उनका ताला कोई खोल न सके। शासन की बीएसएनएल से प्रारंभिक चर्चा हुई है। 'इलेक्ट्रानिक लॉक' के संदर्भ में अभी अंतिम निर्णय होना बाकी है।
खास पासवर्ड से ही खुलेगा 'ताला'
दूध की चोरी और उसमें पानी की मिलावट रोकने के लिए सरकार यह कवायद कर रही है। इलेक्ट्रानिक लॉक लगने के बाद टैंकर का ताला खास तरह के पासवर्ड से ही खुलेगा। इससे टैंकरों के हर 'मूवमेंट' और लोकेशन पर नजर भी रहेगी। बताया जाता है कि इस संबंध में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों की बीएसएनएल के इंजीनियरों और विशेषज्ञों से कई दौर की चर्चा हो चुकी है, अंतिम निर्णय होना बाकी है।
ट्रकों और कचरा वाहनों में लगा चुके डिवाइस
इसके पहले प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत परिवहन होने वाले राशन एवं अन्य सामग्री को ले जाने वाले ट्रकों और टैंकरों में बीएसएनएल जीपीएस लगा चुका है। इससे शासन को पीडीएस के राशन वितरण में होने वाली अनियमितता और फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है। स्मार्ट सिटी के तहत शहरों में लगे डस्टबिन व कचरा संग्रह करने वाली गाड़ियों में भी खास तरह के डिवाइस भी बीएसएनएल लगा चुका है। डस्टबिन में चिप लगाई गई है जो कि डिब्बे में कचरा भरने की सूचना कचरा संग्रह वाहनों और संबंधित कर्मचारियों को दे देती है।
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