इंदौर। इस साल मानसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गया है। देर ही सही, लेकिन जब आया तो आकर छा गया। सबने देश भर में भारी बारिश की श्रृंखला देखी और अब अतिवृष्टि का नुकसान भी कई राज्य झेल रहे हैं। बिहार में तो मानो जलप्रलय ही आ गया है। घर डूब गए हैं, लोग कैद हो गए हैं। जलप्लावन के बीच दुश्वारियों से नम हुईं आंखें आसमान में हेलीकॉप्टर की मदद की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। उत्तरप्रदेश में भी पिछले महीने यही हाल था। मध्यप्रदेश की बात करें तो लगभग पूरा प्रदेश ही बारिश से तरबतर हो गया है। मानसून का मजा अब सजा बन गया है। लेकिन यह सिलसिला अभी यहीं नहीं थमने वाला। ज्योतिषीय आकलन कहता है कि अभी अक्टूबर महीने में भी बारिश जारी रहेगी। आइये जानते हैं ज्योतिष की दृष्टि से ऐसा क्यों हो रहा है और आगे क्या संभावना है।
धरे रह गए मौसम विशेषज्ञों के अनुमान
मानसून देर से आया और देश भर को तरबतर कर गया। इस साल भारतीय मौसम विभाग और स्कायमेट वेदर फोरकास्ट एजेंसी ने अनुमान जताया था कि मानसून सामान्य रहेगा। मौसम विशेषज्ञों ने 3 जून को मानसून केरल पहुंचने का अनुमान जताया था, वह भी गलत साबित हुआ। इसी प्रकार 15 सितंबर को मानसून को विदा होना था, बावजूद बारिश का सिलसिला अभी जारी है। गुजरात, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार और पूर्वी राज्यों में अभी भी बारिश का क्रम थमा नहीं है।
इंदौर में 14 जून को हुई थी पहली बारिश
मानसून के केरल में पहुंचने के निर्धारित समय में देरी हुई तो आगे का भी सिलसिला प्रभावित हो गया। इंदौर में मानूसन की पहली बारिश 14 जून को हुई थी। हालांकि इसके बाद भी बारिश रुक-रुककर होती रही। जुलाई और अगस्त भी औसत ही बीते लेकिन सितंबर में मानो पूरे तीन महीने की कसर एक साथ निकल गई। मालवा में अभी भी राहत के आसार नहीं हैं। कुछ जिलों में फिर से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
ज्योतिषियों का कहना है
1. सूर्य 11 अक्टूबर से चित्रा नक्षत्र में
सीहोर के ज्योतिष पंडित गणेश शर्मा का कहना है कि अभी कम से कम 15 दिन और बारिश देखने को मिल सकती है। सूर्य 11 अक्टूबर से चित्रा नक्षत्र में जाएगा। 11 अक्टूबर तक सूर्य हस्त में रहेगा तथा इसका वाहन मण्डूक रहने से वर्षा कहीं ना कहीं अचानक होती रहेगी। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक जन, धन हानि के भी योग बन रहे हैं।
2. अक्टूबर में भी अतिवृष्टि के आसार
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य डॉ. विशाल शुक्ल के अनुसार, गोचर ग्रहों के अनुसार अक्टूबर पूरा माह वर्षा का योग बन रहा है। चंद्र जलचर राशि है, यह बुध के साथ संयोग बनाती है। इससे पिता व पुत्र की युति भी बनती है, जो कि राहु की पंचम दृष्टि से पीडि़त है, इससे भी अतिवृष्टि के आसार हैं
इस कारण बना दुर्लभ संयोग
- 28 सितंबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को ही शनि अमावस्या भी थी।
- इस दिन गोचर में पंचग्रही योग बना था।
-अमवस्या पर सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध व शुक्र कन्या राशि में स्थित होने से यह पंचग्रही योग बना था।
- सितंबर माह में ही 5 रविवार और 5 सोमवार का योग भी बना जो आगे चलकर मानूसन की स्थिति को प्रभावित कर रहा है
त्रिधा युति के कारण लगातार बारिश
पंडित शुक्ल का कहना है कि सूर्य, मंगल और शुक्र कन्या राशि के होने से शुक्र नीच राशि में परिक्रमण कर रहा है। इसी कारण त्रिधा युति बनी हुई है। त्रिधा युति उसे कहा जाता है जिसमें उक्त तीन ग्रह एक साथ आए हैं। शुक्र नीचस्थ होने से जल का योग बनता है। इसमें मंगल और सूर्य का भी प्रभाव होने से या तो अतिवृष्टि होती है या अल्पवृष्टि होती है। शुक्र नीच का होने से प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। बिहार की जलत्रासदी इसी के चलते हो रही है
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