भाईदूज की त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को समर्पित त्यौहार है। इस दिन भाई-बहन के बीच की स्नेह की डोर और ज्यादा मजबूत होती है। स्नेह में बंधा यह रिश्ता सदियों से इसी तरह चला आ रहा है। सनातन संस्कृति में इस रिश्ते को परंपराओं की डोर में पिरोया है और भाईदूज जैसे पर्वों पर इसको रिश्तों की नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। इस साल भाईदूज का पर्व 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर्व तिथि और शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिथि – मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019
भाई दूज तिलक मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 23 मिनट तक
द्वितीय तिथि प्रारंभ – 21 बजकर 7 मिनट से
द्वितीय तिथि समाप्त – 21 बजकर 20 मिनट पर
भाई दूज तिलक विधि
भाईदूज के विधि-विधान के अनुसार सबसे पहले एक पाट बिछाकर उसके ऊपर चावल के घोल से पांच शंक्वाकार आकृति बनाएं। आकृतियों के बीचोबीच सिंदूर लगा दें। पाट के आग स्वच्छ जल से भरा हुआ कलश , 6 कुम्हरे के फूल, सिंदूर, 6 पान के पत्ते, 6 सुपारी, बड़ी इलायची, छोटी इलाइची, हर्रे, जायफल इत्यादि रखें। कुम्हरे के फूल के स्थान पर गेंदे का फूल प्रयोग में लाया जा सकता है। बहन भाई को आदरपूर्वक पाट पर बिठाती है। भाई के दोनों हाथों में चावल का घोल एवं सिंदूर लगाती है।
उसके बाद भाई के हाथ में शहद, गाय का घी और चंदन लगाती है। भाई की अंजलि में पान का पत्ता, सुपारी, कुम्हरे या गेंदे का फूल, जायफल इत्यादि देकर कहती है - "यमुना ने निमंत्रण दिया यम को, मैं निमंत्रण दे रही हूं अपने भाई को; जितनी बड़ी यमुना जी की धारा, उतनी बड़ी मेरे भाई की आयु।" यह कहकर अंजलि में सारी सामग्री डाल देती है। इस तरह इसका तीन बार उच्चारण करती है, अब भाई के जल से हाथ-पैर धो देती है और कपड़े से पोंछ देती है। बहन भाई का तिलक करती है। भुना हुआ मखाना खिलाती है। भाई बहन को उपहार देता है। अब बहन घर आए भाई को भोजन करवाती है
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