रतलाम। शहर के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर पर धन-वैभव से सजावट हो चुकी है, हालांकि इस बार प्रशासन की निगरानी के चलते मंदिर में सजावट, श्रृंगार के लिए नगदी, आभूषण कम आए हैं। नगदी व आभूषण का आंकड़ा 50 लाख से नीचे है जो कि पिछली बार से आधे से भी कम है। 25 अक्टूबर धनतेरस पर सुबह 4.30 बजे से आरती के साथ आमजन महालक्ष्मी के इस खजाने व विशेष श्रृंगार के दर्शन श्रद्धालु कर पाएंगे। शहर के मुख्य बाजार में महालक्ष्मी मंदिर काफी पुराना है। मंदिर में सजावट का क्रम पिछले कई वर्षों से चला आ रहा है। मंदिर की सजावट के लिए शहर के अलावा अन्य प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में भक्त नगदी लेकर आते हैं। पांच दिवसीय दीपावली पर्व पर सजावट के बाद सभी को उनकी राशि लौटाई जाती है। मान्यता है कि मंदिर में सजावट के लिए नगदी देने के बाद यह राशि घर की तिजोरी में रखने से समृद्धि आती है।
मंदिर में इनकी मूर्तियां भी स्थापित
श्री धन लक्ष्मी मां, श्री लक्ष्मीनारायण, धान्य लक्ष्मी मां, अधीलक्ष्मी मां, विजयलक्ष्मी मां, वीर लक्ष्मी मां, ऐश्वर्य लक्ष्मी मां, संतान लक्ष्मी मां।
भक्तों की दिनभर रही भीड़
सजावट के लिए नकदी व आभूषण देने का समय गुरुवार शाम 5 बजे तक का था। इस कारण दिनभर भक्तों की भीड़ रही। रात तक नकदी देने वालों का मंदिर में आने का सिलसिला चलता रहा।
सजावट में खास
मंदिर के गर्भगृह में नोटों की गड्डियों का ढेर है।
- परिसर में 10 से लेकर 500 रुपए के नोटों से की लड़ियां लगाई गई हैं।
- चांदी के पायजब, सोने की चेन, चांदी की ईंट व सिल्लियां, गणेश जी व सरस्वती जी की चांदी की प्रतिमा, चांदी के नारियल, सोने के हार सेट भी आए हैं।
- दो भक्तों ने घर की तिजोरी लाकर रखी है। इसमें नकदी सहित आभूषण भी हैं।
- पहली बार मंदिर में नोट गिनने की मशीन भी रखी गई है।
- धनतेरस से भाईदूज तक महालक्ष्मी के खजाने के दर्शन आमजन कर सकते हैं।
- सजावट साल भर में एक बार दीपावली पर की जाती है।
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