इंदौर। घर बनाने के लिए अब तक आम लोगों को 27 तरह के अलग-अलग दस्तावेज नहीं जुटाना पड़ेंगे। नागरिक सिर्फ पांच तरह के दस्तावेजों से ही मकान का नक्शा पास करा सकेंगे। हालांकि क्षेत्र विशेष के भूखंडों के लिए संबंधित विभागों की एनओसी जरूरी होंगी।
105 वर्गमीटर या 1100 वर्गफीट तक के भूखंडों पर मकान बनाने के इच्छुक लोग घर बैठे दस्तावेज अपलोड कर ई-मेल पर निर्माण की डिजिटल साइन की हुई अनुमति और नक्शा प्राप्त कर सकेंगे। इससे पहले स्थानीय नगरीय निकाय केवल संपत्ति का भौतिक सत्यापन करेंगे ताकि यह पता चल सके कि संबंधित जमीन विकास प्राधिकरण या हाउसिंग बोर्ड की किसी योजना में तो नहीं है। ई-नगर पालिका के माध्यम से यह सिस्टम प्रदेशभर के 378 निकायों में लागू किया जा रहा है
यह जानकारी गुरुवार को नगरीय विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने इंदौर में पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश के पास रियल इस्टेट पॉलिसी नहीं थी। पहली बार सरकार ने नीति तैयार की है जिससे आम नागरिक, कॉलोनाइजर और निवेशक सरकारी प्रक्रियाओं में उलझकर परेशान नहीं हों। उन्होंने बताया कि बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोगों के साथ आमतौर पर यह परेशानी होती है कि वहां रहने वाले ज्यादातर लोग तो रखरखाव के लिए तय राशि देते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो इसमें आनाकानी करते हैं। अब जो लोग रहवासी संघों की बात नहीं मानेंगे, उन्हें सरकारी अधिकारी कह सकेगा कि एसोसिएशन या रहवासी संघ ने जो दरें तय की हैं, उसके हिसाब से उन्हें भुगतान करना होगा।
इन पांच दस्तावेजों से हो सकेगा काम
1. भूखंड की रजिस्ट्री
2. संपत्ति कर की रसीद
3. इंजीनियर का सुपरविजन सर्टिफिकेट
4. डिटेल एस्टीमेट
5. मालिकाना हक बताने वाला दस्तावेज
सरकार किराए पर देगी फ्लैट, समय पर किस्त जमा की तो बन सकेंगे मालिक
प्रमुख सचिव ने बताया कि बड़े शहरों में लाखों लोग कामकाज के सिलसिले में आकर रहते हैं। कम किराए के लिए उन्हें मजबूरन झुग्गी बस्ती में रहना पड़ता है। सरकार और निकाय ऐसे लोगों के लिए कुछ फ्लैट अलग से बनाएगी। उनका किराया उतना ही होगाश, जितना बस्ती की किसी झुग्गी का होता है। लोग उन्हें किराए पर ले सकेंगे। यदि उन्होंने किराया समय पर दिया तो ऋण अवधि पूरी होने के बाद वे फ्लैट के खुद मालिक बन सकेंगे।
बहुमंजिला दोबारा बनाने पर पहले रहने वालों को फ्लैट देना होगा
- ऐसी इमारतें जो 30-40 साल पहले बनी हैं और अब जर्जर हैं। वहां रहने वाले लोगों के हितों के संरक्षण का प्रावधान भी नीति में किया गया है। इसके तहत यदि डेवलपर उसे तोड़कर नया बनाएगा तो उसे वहां रहने वाले लोगों को उतने की आकार का फ्लैट देना होगा। अब तक बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोगों को भविष्य को लेकर हमेशा डर बना रहता था। सरकार इसके बदले बिल्डर को अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) देगा जिसके उपयोग से बनाए गए फ्लैटों को बेचकर वह कमाई कर सकेगा।
- 24 मीटर या उससे ज्यादा चौड़ी सड़कों पर यदि 25 प्रतिशत लोगों ने आवासीय उपयोग की जगह का व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू कर दिया है तो उनकी लीज तय शुल्क लेकर कमर्शियल हो सकेगी। जो पहले से संपत्ति का व्यावसायिक उपयोग कर रहा है, उसे पांच से 10 प्रतिशत ज्यादा अर्थदंड देना होगा। जो स्वामी आवेदन देकर संपत्ति का व्यावसायिक इस्तेमाल करने की अनुमति मांग रहा है, उससे तय राशि ही वसूली जाएगी। इसका यह मतलब नहीं कि किसी भी सड़क का व्यावसायिक किया जा सकेगा। इसका फैसला सरकार लेगी और किसी रोड को आवासीय से व्यावसायिक करने से पहले लोगों से दावे-आपत्ति बुलाकर उनका निराकरण किया जाएगा।
- ऐसे निजी भवन जो हेरिटेज के रूप में हैं या हेरिटेज क्षेत्र में हैं, उनके मालिकों को भी नई नीति में बड़ी रियायत दी गई है। अब वे भवन का बाहरी स्वरूप यथावत रखते हुए भवन के भीतर बदलाव कर सकेंगे और इच्छानुसार खुद के आवास या होटल, रेस्त्रां या कैफेटेरिया बनाकर उसका व्यावसायिक उपयोग भी कर सकेंगे।
- सरकार कोशिश कर रही है कि हर संपत्ति से संबंधित तमाम दस्तावेज और जानकारी एक पोर्टल पर उपलब्ध हो जाएं। इससे यह पता चल सकेगा कि वह संपत्ति कब बिकी, किसने खरीदी, नामांतरण हुआ या नहीं या उसकी ले आउट परमिशन है या नहीं? अभी प्रयोग के रूप में यह काम एक निकाय में किया जा चुका है
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