भोपाल। संगठन चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी ने संभागीय संगठन मंत्रियों की भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। लगभग आधा दर्जन संगठन मंत्रियों के प्रभार के संभाग में पार्टी ने बदलाव किया है। पार्टी ने इसे सामान्य प्रक्रिया कहा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि एक ही स्थान पर लंबे समय से टिके होने के कारण संगठन चुनाव प्रभावित न हों, यह भी इस बदलाव का कारण माना जा रहा है।
पार्टी संभागीय संगठन मंत्रियों की भूमिका से भी लंबे समय से संतुष्ट नहीं थी। पहले भी पार्टी ने सह संगठन महामंत्री रहे अतुल राय को हटाया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में मालवांचल में मिली भारी पराजय के बाद भी इंदौर के संगठन मंत्री जयपाल चावड़ा के पास इंदौर संभाग यथावत रहेगा।
शैलेंद्र बरूआ: अब जबलपुर और होशंगाबाद संभाग की कमान संभालेंगे। अब तक बरूआ ग्वालियर संभाग संभाल रहे थे। वे भिंड के रहने वाले हैं। इनको पार्टी में काफी हाईप्रोफाइल माना जाता है। पूर्व संगठन महामंत्री अरविंद मेनन का भी इन्हें करीबी माना जाता है। विधानसभा चुनाव में बरूआ टिकट की दौड़ में भी शामिल थे।
आशुतोष तिवारी: तिवारी को भोपाल और ग्वालियर संभाग की बागडोर दी गई है। पहले इनके पास सागर संभाग की कमान थी, जिसे छीनकर अब ग्वालियर दिया गया है। तिवारी दतिया के नजदीक के रहने वाले हैं। ये सीधे राजनीति में आने के इच्छुक बताए जाते हैं।
श्याम महाजन: संभागीय संगठन मंत्री होशंगाबाद थे, जिन्हें अब पदोन्नत कर रीवा-शहडोल दो संभाग की जिम्मेदारी मिल गई। खरगोन के रहने वाले हैं। लो प्रोफाइल होने के कारण पार्टी में इन्हें तवज्जो दी गई है।
जितेंद्र लिटोरिया: रीवा-शहडोल संभाग संभाल रहे जितेंद्र लिटोरिया को अब उज्जैन संभाग की कमान दी गई है। तामझाम से दूर लिटोरिया को भी अच्छा संगठक माना जाता है। उज्जैन में प्रदीप जोशी संभागीय संगठन मंत्री थे, जिन्हें अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद मुक्त कर दिया गया था।
जयपाल चावड़ा: विधानसभा चुनाव में भारी हार के बाद भी इंदौर के संभागीय संगठन मंत्री जयपाल चावड़ा को यथावत रखा गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है उक्त फैसला पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के द्वारा लिया गया है, उन्हीं के हस्ताक्षर से पत्र जारी किया गया है।
केशव भदौरिया: अब भदौरिया सागर और चंबल संभाग देखेंगे। भदौरिया पहले महाकोशल के मंडला-बालाघाट, सिवनी सहित चार जिलों का प्रभार संभाल रहे थे।
परिस्थिति अनुसार बदलाव
आगे नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव होना हैं। इन सभी परिस्थितियों को देखकर बदलाव किए गए हैं।
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