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250 करोड़ कमाने वाला गिरफ्तार, लेकिन ढाई रुपए भी नहीं हुए जब्त


देवास। ऑनलाइन नंबरिंग गेम्स में धोखाधड़ी कर ढाई सौ करोड़ रुपए सालाना टर्न ओवर कमाने वाले आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को आरोपित को मीडिया के सामने लाया गया और उसके बुने धोखाधड़ी के बड़े जाल का पर्दाफाश कि या। हालांकि पुलिस खुद ही सवालों के घेरे में इसलिए घिर गई, क्योंकि आरोपित से वह ढाई रुपए भी जब्त नहीं कर पाई। पुलिस ने उसकी गिनी-चुनी संपत्ति का खुलासा जरूर कि या, लेकि न वह यह नहीं बता पाई कि इतनी काली कमाई आरोपित ने कहां छिपाई है और पुलिस उस तक कै से पहुंचेगी।


गुरुवार शाम करीब साढ़े चार बजे एसपी कार्यालय, देवास में प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें आरोपित सिद्धार्थ चौरसिया को बेनकाब कि या गया। एसपी चंधशेखर सोलंकी ने जानकारी दी कि फरियादी धर्मेंध पिता मुन्नालाल पटेल निवासी शिवाजी नगर, इंदौर की शिकायत पर आरोपित सिद्धार्थ चौरसिया को पकड़ा है


आरोप है कि चौरसिया और उसके साथियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर का ऑनलाइन गेम्स एप्लीके शन बनाई और चेन सिस्टम के माध्यम से हजारों लोगों से धोखाधड़ी की। अपराध में शामिल सिद्धार्थ को मुख्य आरोपित बनाया गया है।


पुलिस ने कहा कि आरोपित 20 करोड़ रुपए महीना कमाता था, जिसके हिसाब से उसका टर्न ओवर 240 करोड़ रुपए सालाना हो गया वह इस तरह की धोखाधड़ी 2010-11 से कर रहा है। नौ साल बाद वह पकड़ाया। उसके खिलाफ 26 अप्रैल 2019 को शिकायत मिली थी


मामला तकनीक से जुड़ा हुआ है इसलिए पुलिस से जब सवाल कि ए कि अंतराराष्ट्रीय स्तर की धोखाधड़ी करने वाले आरोपित ने कमाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया, क्या उससे कु छ राशि जब्त हुई? इस पर पुलिस ने चुप्पी साध ली। कुछ देर सोचने के बाद जवाब मिला कि जांच जारी है।


पुलिस ने सिद्धार्थ चौरसिया, अविनाश चौरसिया निवासी ठाणे, मुंबई, अरुण सोमन, लेस्ली थामसन निवासी कोच्ची और आरोपित संजय शर्मा निवासी इंदौर के खिलाफ धोखाधड़ी, षडयंत्र और आईटी एक्ट की धारा में के स दर्ज कि या। चार आरोपितों की तलाश जारी है। आरोपित सिद्धार्थ अब भी पुलिस रिमांड पर है


पुलिस कोच्ची पहुंची, लेकिन भाग गए बदमाश


पुलिस के मुताबिक फरियादी धर्मेंध की शिकायत पर बागली थाना पुलिस व साइबर टीम ने आरोपित सिद्धार्थ चौरसिया (35) निवासी रिगारिया बिल्डिंग, थाना-कापूरबावड़ी, जिला-ठाणे महाराष्ट्र को ट्रेस कि या गया और उसे 23 अक्टूबर को मुंबई से पकड़ा गया


उसकी निशानदेही पर पुलिस ने एक टीम कोच्ची भेजी, जहां उसके बताए गए ऑफिस पर गई, लेकि न इससे पहले ही आरोपित अरुण और लेस्ली को भनक लग गई और वे भाग गए। पुलिस ने यहां से दो लेपटॉप व एक हार्ड डिस्क जब्त की, जिसमें गेम से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं।


कसिनो और सट्टे की तरह चलाते थे गेम


आरोपित गेम को सट्टे व कसिनो की तरह चलाते हैं। वे एक के 10 और 10 के 100 रुपए होने का लालच देते थे, जिसके चलते कई लोग इस गेम में अपनी कि स्मत आजमाने लगे। आरोपित ने एप को इस तरह डिजाइन कि या था कि वे करोड़ों रुपए कमाते थे और लोग ठगाते थे।


हजारों लोग अपने पसंदीदा नंबर पर रुपए लगाते, लेकि न जब चक्का घुमता तो वहीं नंबर आता था, जिस पर सबसे कम रुपए लगे हो। इस गेम को खेलने के लिए एक चेन सिस्टम बनाया गया था। सैकड़ों युवाओं को इससे जोड़ा गया और कमीशन देना शुरु कि या।


 


गेम्स से जुड़े एजेंट अपने गांव व शहर में लोगों को गेम की जानकारी देते और उन्हें प्रलोभन देकर एप पर उनका रजिस्ट्रेशन करवा देते थे। रजिस्ट्रेशन शुल्क के नाम पर भी प्रति व्यक्ति से करीब 10 हजार रुपए जमा करवा लिए जाते थे। रजिस्ट्रेशन करवाने पर लोगों को यूजरनेम-पासवर्ड दे दिया जाता था, ताकि वे अपने स्मार्ट फोन पर एप को खोलकर रुपए का दाव लगा सके ।


170 वेबसाइट से करते थे लेनदेन


 


आरोपितों ने खेलो4विन नाम की एप्लीके शन बनाई, जिसमें करोड़ों रुपए ट्रांसफर करने के लिए करीब 170 वेबसाइटों का इस्तेमाल कि या गया। पुलिस को आईसीआईसी बैंक और सिंगापुर स्थित बैंक की जानकारी मिली है, जिसमें रुपए जमा हुए है, लेकि न कि तने रुपए जमा हुए है इसकी अब तक जानकारी नहीं मिल पाई है।


इन बिंदुओं पर जांच जारी


 


- काली कमाई को सफेद करने के लिए मनी लॉड्रिंग व ड्रग व्यापार में संलिप्तता की जानकारी जुटाई जा रही है।


- आरोपित सिद्धार्थ व उसके साथियों की विदेशी यात्रा, संबंध, रहन-सहन और बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है।


- सिद्धार्थ के व्यक्तिगत खातों की जानकारी के लिए बैंकों से संपर्क कि जा रहा है।


- सर्वर कि स देश से लिया गया और कहां बैठकर चलाया जा रहा है इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है।


- आरोपितों के एप पर अब तक कि तने लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है इसकी भी पड़ताल की जा रही है।


तकनीकी सवालों पर एसपी ने छोड़ी कॉन्फ्रेंस


सवाल- ऑनलाइन सट्टा, जुआ, गेम्स व अश्लील वीडियो की इंटरनेट पर भरमार है, लेकि न पुलिस उनके मास्टर माइंड तक नहीं पहुंच पाती है और तकनीकी रुप से पुलिस जिस तरह पीछे है उससे लगता है कि आने वाले समय में पुलिस उन तक पहुंच पाएगी?


एसपी - सवाल निराधार है. पुलिस पहुंच जाती है।


सवाल- बड़े स्तर पर लेन-देन का खेल चलता है, जिसकी वजह से ऑनलाइन गेम्स चलाने वाले मास्टर माइंड बच जाते हैं, उन्हें कै से पकड़ेंगे?


एसपी- सवाल पूरी तरह निराधार है पुलिस पकड़ लेती है। (पुलिस ने अपने प्रेसनोट में खुद जिक्र कि या है कि राजनीतिक दबाव के चलते आरोपी आसानी से भाग निकलता है)


सवाल- ..तो फिर अब तक कई नंबरिंग गेम्स की वेबसाइट और एप क्यों चल रही है? क्या ऐसा नहीं लगता कि पुलिस जिस तरह से तकनीकी रुप से कमजोर है उसे देखते हुए आने वाले दस साल तक पुलिस वेबसाइट बनाने और संचालित करने वालों तक पहुंच पाएगी?


एसपी- कॉन्फ्रेंस खत्म बोलकर चल दिए। (सवाल खत्म होते ही दोबारा कै मरों के सामने बैठ गए)


इसलिए पकड़ना होता है मुश्किल


 


किसी भी वेबसाइट या ऐप को बनाने के लिए डोमेन (वेबसाइट या एप का नाम) बुक करना पड़ता है। फिर एप या वेबसाइट को आकार दिया जाता है। इसके बाद होस्टिंग यानी सर्वर पर स्पेस लिया जाता है। गैर कानूनी धंधों के लिए विदेशी कंपनियों से सर्वर ले लिया जाता है ताकि भारत की पुलिस को वहां तक पहुंचने में पसीने छूट जाए। कई तकनीकी जानकार पहुंच भी जाते हैं, लेकि न वेब या एप को चलाने में इस्तेमाल होने वाला आईपी एड्रेस बार-बार बदल दिया जाता है जिससे मास्टर माइंड पकड़ में नहीं आते हैं। साधन-संसाधनों की कमी के चलते भी ऐसे मास्टर माइंड तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।


नहीं मिले रुपए


आरोपित सिद्धार्थ की बैंक खाते की जानकारी मिली है उसकी पड़ताल कर रहे हैं। आरोपित से रुपए जब्त नहीं हो पाए हैं। - प्रदीप राय, सब इंस्पेक्टर व जांचकर्ता अधिकारी


 


पान की दुकान चलाने के बाद की बैंक में नौकरी, हत्या का भी कर चुका है प्रयास


आरोपित सिद्धार्थ गरीब परिवार से था। वह पान बनाकर बेचता था और कि राए के मकान में रहता था। 2012 में वह कोटक महिन्धा बैंक में नौकरी करने लगा। अचानक नौकरी छोड़ आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने लगा। इसके बाद उसने जमीन, फ्लैट, कार, ऑफिस खरीद लिया। उस पर हत्या के प्रयास का मामला मेरठ के थाने में दर्ज है।


उसकी गैंग के तार मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्त्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगल तक जुड़ गए और उसने धोखाधड़ी का बड़ा जाल बुन दिया, जिसमें हजारों लोग फंसते चले गए। जब पुलिस उसे प्रेसवार्ता में लाई तो उसके चेहरे पर शिकन तक नजर नहीं आई।


पुलिस आरोपित संजय शर्मा को भी तलाश रही है, क्योंकि उसी ने फरियादी धर्मेंध को लालच देकर फंसाया था। वह जब भी रुपए हारता तो उकसाते हुए कहता था कि खेलो, एक दिन मालामाल हो जाओगे। आरोपित को पकड़ने में बागली पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। एसपी सोलंकी का कहना है कि आरोपित छोटे गांवों में भी लोगों से धोखाधड़ी करते थे, जिनके तार देवास के बागली गांव में भी फै ले हुए थे।


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