हाल ही में हुए एक शोध अध्ययन के मुताबिक यदि मरीज को शुगर (Diabetes) की बीमारी हो और उसका ठीक से इलाज न हो रहा हो साथ ही वह दिल की बीमारी (Heart Disease) के जोखिम पर भी हो तो हार्ट फेलियर (Heart Failure) के कारण मरीज की जान जाने की आशंका काफी बढ़ जाती है। कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) पहले भी हुए कई शोध अध्ययनों में सामने आया है कि डायबिटीक कार्डियोमायोपैथी के कारण हार्ट फेलियर का जोखिम बहुत अधिक हो जाता है। डायबिटीज के मरीजों के हार्ट की मांसपेशी में यह एक ऐसा डिस्ऑर्डर है जिसकी वजह से शरीर में पूरी तरह ब्लड सर्कुलेट नहीं हो पाता है। क्लिनिकल अध्ययनों से मालूम हुआ है कि डायबिटीज का ट्रीटमेंट यदि चल रहा हो तो हार्ट डिसीज के लक्षण पीछे छुप जाते हैं। यहीवजह है कि दिल के अचानक बंद हो जाने से बचने के लिए शुगर की बीमारी को नियंत्रित रखना जरूरी है।
टाइप 2 डायबिटीज और हार्ट फेलियर जैसी घातक स्थितियां आमतौर पर इकट्ठी ही किसी मरीज में देखी जाती हैं। अस्पताल में भर्ती किए जा रहे है हार्ट फेलियर के 25 प्रतिशत मरीजों में डायबिटीज की बीमारी पाई जाती है। ऐसे मरीजों को असाध्य हार्ट फेलियर की समस्या 40 प्रतिशत से अधिक पाई जाती है। आज अस्पतालों में भर्ती होने वाले हार्ट के मरीजों में डायबिटीज एक सामान्य समस्या के तौर पर सामने आ रही है।
क्या रखें सावधानी शुगर के मरीज
पैरों, टखनों, पेडू जैसे अवयवों पर सूजन न चढ़नें दें। यदि सूजन दिखाई तो सबसे पहले खून का सैंपल लेकर उसकी जांच कराएं। इसके बाद शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवाओं में बदलाव कराएं। पैरों, टखनों और पेडू पर चढ़ी सूजन का कारण यह है कि इन सभी स्थानों पर फ्ल्यूइड इकट्ठा हो जाता है। हार्ट फेलियर का यह एक महत्वपूर्ण लक्षण है। 2. डायबिटीज के मरीजों को कभी भी पैरों, टखनों और पेट पर आई सूजन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे यह न भूलें कि इन सभी अवयवों परमधुमेह के कारण ही असर पड़ने लगता है।
अनियंत्रित ब्लड शुगर के मरीजों की एक आम समस्या है निरंतर थकान बनी रहना। हार्ट फेलियर का भी यह एक महत्वपूर्ण लक्षण है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। चूंकि ऐसे मरीजों का हार्ट शरीर के हर हिस्से में खून की आपूर्ति नहीं कर पाता है इसलिए शऱीर के वे सभी हिस्से शुद्ध ऑक्सीजन और पौष्टिक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। यही वजह है कि मरीजों को लगातार थकान बनी रहती है।
शुगर के मरीज हार्ट फेलियर का एक और महत्वपूर्ण लक्षण नजरअंदाज कर जाते हैं और वह है सांस उखड़ना। सांस उखड़ने की वजह यह है कि फेफड़ों में फ्ल्यूइड जमा हो जाता है। डायबिटीज के मरीजों को यह लगता है कि शरीर में इंसुलीन का लेवल कम होने के कारण सांस उखड़ रही है। इस भ्रम की वजह से चिकित्सकीय सहायता हासिल करने में अनावश्यक देरी हो जाती है।
क्या हो सकता है
डायबिटीज के मरीजों में हार्ट फेलियर जैसी कंडीशन्स को प्रभावी तौर पर मैनेज किया जा सकता है। यदि मरीज समय पर ब्लड शुगर लेवल की जांचें कराते रहें और आरामतलब जीवनशैली को त्यागकर दिन भर सक्रिय बने रहें तो हार्ट फेलियर को टाला जा सकता है।अक्सर देखा गया है कि जैसे ही दवाएं खाने के बाद मरीज थोड़ा ठीक होने लगता है तो वह दवाएं लेना बंद कर देता है जिसकी वजह से दिल की हालत तेजी से खराब होने लगती है और अचानक हार्ट फेलियर में चला जाता है। क्या करें डायबिटीज के रोगी सबसे पहले सक्रिय जीवनशैली को अपनाएं।
सुबह जल्दी उठें और योगाभ्यास अथवा एरोबिक्स जैसी एक्सरसाइज करें। पैदल घूमने निकल जाएं अथवा सायकल पर पूरे शहर का चक्कर लगाकर लौट आएं। इससे शुगर का स्तर तो कम होगा ही साथ ही हार्ट फेलियर के जोखिम भी लगातार कम होते रहेंगे।
(डॉ. संजीव अग्रवाल, सीनियर कंसल्टेंट हार्ट डिसीज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नईदिल्ली)
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