नई दिल्ली। सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को जारी रखते हुए 21 'भ्रष्ट" टैक्स अफसरों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दे दी है। इन अधिकारियों में भोपाल व इंदौर के दो अफसर भी हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स संग्रहण का काम देखने वाली एजेंसी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जनहित में मौलिक नियम 56 (जे) के तहत आयकर के 21 समूह बी अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार व अन्य आरोप थे और सीबीआई जांच का सामना कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि अभी जिन अधिकारियों को सेवा से हटाया गया है, उनमें तीन अधिकारी सीबीडीटी के मुंबई कार्यालय और दो ठाणे जिले के शामिल हैं। इसके अलावा जिन्हें हटाया गया है, वे भोपाल व इंदौर, विशाखापत्तनम, हैदराबाद, राजमुंद्री, हजारीबाग, नागपुर, राजकोट, जोधपुर, माधौपुर व बीकानेर में पदस्थ थे। जून से अब तक भ्रष्ट टैक्स अधिकारियों को हटाने का यह पांचवां दौर था। अब तक 85 अफसरों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है। इनमें 64 उच्च रैंक के अफसर थे। इन 64 उच्च रैंक के अफसरों में 12 सीबीडीटी के थे। पिछली बार सितंबर में जीएसटी और आयात कर संग्रहण का काम देखने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स के 15 अधिकारियों को हटाया गया था
भ्रष्टाचार की हद
अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किए गए आधे से अधिक टैक्स अधिकारियों को सीबीआई ने कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनमें से एक अधिकारी 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। एक अधिकारी के पास उसके बैंक लॉकर में 20 लाख रुपए से अधिक मिले थे। ठाणे के एक अधिकारी ने अपने व पत्नी के नाम 40 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति खरीद ली थी
क्या है नियम 56 (जे)
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम-1972 के नियम 56 (जे) में यह प्रावधान है कि सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी ताकि यह आकलन किया जा सके कि वे जनहित में सेवा में बने रहने लायक हैं अथवा नहीं
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