गुरुवार का दिन ठाकरे परिवार के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है। इसके बेटे उद्धव ठाकरे गठबंधन सरकार के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। यह उपलब्धि पाने वाले वे इस परिवार के पहले व्यक्ति होंगे। असल में, ठाकरे परिवार शुरू से बहुआयामी रहा है। राजनीति के अलावा कला, समाजसेवा में भी इन लोगों का खासा दखल रहा है। उद्धव भी अपवाद नहीं हैं। उनके शुरुआती व्यक्तित्व को देखकर यह अंदाजा लगाना कठिन था कि यह शख्स एक दिन महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बन जाएगा। आज शाम को उनका सपना साकार होने जा रहा है। आइये जानते हैं उद्धव ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ बातें जो हमारा उनसे परिचय कराती हैं।
1. ठाकरे परिवार से मुख्यमंत्री बनने वाले उद्धव पहले व्यक्ति होंगे। 59 वर्षीय उद्धव के परिवार में पत्नी रश्मि के अलावा दो पुत्र हैं। आदित्य और तेजस। आदित्य एक जाना माना चेहरा हैं। इस बार के चुनाव में आदित्य वर्ली सीट से खड़े हुए और जीतकर आए। वे मुखर भी हैं और जनता उन्हें समर्थन भी देती है। दूसरे बेटे तेजस का स्वभाव थोड़ा अलग है। उनका राजनीति में रुझान कम है। वे चर्चाओं का केंद्र नहीं बनते। हालांकि वे अब शिवसेना की सियासत में रुचि लेने लगे हैं। इस समय वे न्यूयार्क की बफेलो सिटी के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं
2. उद्धव की पत्नी रश्मि राजनीति पर पकड़ रखने वाली, समाज में उठने-बैठने वाली महिला हैं। यदि ऐसा कहा जाए कि उद्धव की सफलता के पीछे रश्मि को अच्छा खासा श्रेय जाता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रश्मि ने शुरू से उद्धव के लिए ढाल का काम किया। याद कीजिये वह समय जब राज ठाकरे और नारायण राणे शिवसेना से अलग हो गए थे, तब रश्मि ने ही उद्धव के लिए कैंपेनिंग की थी।
3. ठाकरे परिवार का कला से सदा से नाता रहा है। किसी समय बालासाहब ठाकरे स्वयं स्केचेस बनाया करते थे और बाद में राजनीति में आ गए। उसी तरह उनके भतीजे राज ठाकरे भी कार्टून बनाने का शौक रखते थे, उन्होंने भी बाद में राजनीति का रूख कर लिया। उद्धव स्वयं कलाप्रेमी रहे हैं। लंबे समय तक उनकी छवि वाइल्ड लाइफ फोटाग्राफर की रही। उन्होंने महाराष्ट्र के विभिन्न किलों के एरियल व्यू से फोटो लिए जिनकी जहांगीर आर्ट गैलरी में 2004 में प्रदर्शनी लग चुकी है। इसके अलावा उनकी दो फोटो-बुक्स भी प्रकाशित हो चुकी हैं। पहली का नाम महाराष्ट्र देश (2010) है, दूसरी का नाम पाहवा विठ्ल (2011)
4. उद्धव यदि अपने सीएम बनने की बात को बालासाहब का सपना बताते हैं तो इसके पीछे वजह है। यह केवल भावुकतावश दिया गया बयान नहीं है। इसके पीछे एक वाकया है। एक बार शिवाजी पार्क में एक रैली होना थी। इसमें बालासाहब बीमारी के चलते नहीं आ पाए। उन्होंने शिवसैनिकों को वीसी से संबोधित किया और उनसे अनुरोध किया कि वे उद्धव को सहयोग करें। आज जब बालासाहब नहीं हैं और उद्धव सीएम की कुर्सी से चंद घंटे दूर हैं, ऐसे में उन्हें वह घटना बरबस याद हो आएगी
5. ठाकरे परिवार के लिए यह बड़ी विडंबना की बात रही होगी कि घर के ही दो बेटे राजनीतिक मैदान में एक दूसरे से जीत व हार का खेल खेल रहे थे। वर्ष 2008-09 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने बेहतरीन प्रदर्शन कर दिखाया। मनसे ने शिवसेना को कड़ी टक्कर दी। तब ऐसा लगा था कि राज्य में मनसे की सरकार ना बन जाए, शिवसेना के सत्ता में आने के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता था। लेकिन आज हालात सबके सामने हैं
6. कला के अलावा ठाकरे परिवार का ग्लैमर जगत से भी नाता जुड़ गया है। उद्धव के चचेरे भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे की संतानें राजनीति की बजाय ग्लैमर जगत की ओर ज्यादा रुचि रखती हैं। राज की पत्नी शर्मिला वाघ, मराठी सिनेमा फोटोग्राफर, प्रोड्यूसर, डायरेक्ट मोहन वाघ की बेटी हैं। उनका बेटा अमित ठाकरे अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कैरिकेचर तो बनाता ही है, वह फुटबॉलर भी है, पर्यावरण प्रेमी भी और व्यक्तित्व से किसी मॉडल की तरह नजर आता है। इसी साल जनवरी में अमित ने फैशन डिजाइनर मिताली बोरडे से शादी की। उनकी बहन उर्वशी ठाकरे बॉलीवुड से जुड़ी हैं। वे हिंदी फिल्म दबंग-2 के सेट पर नजर आई थी, हालांकि फिल्म में उन्होंने अभिनय नहीं किया
7. वर्ष 2003 को उद्धव के राजनीतिक जीवन का औपचारिक आरंभ माना जा सकता है जब पिता बालासाहब ठाकरे ने उन्हें प्रमोट करना शुरू किया। हालांकि उद्धव हमेशा सक्रिय राजनीति से दूर रहे, बावजूद पिता द्वारा दी गई जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए उन्होंने काम शुरू किया। इसका एक साइड इफेक्ट यह हुआ कि उन्हें अपने ही चचेरे भाई राज ठाकरे से मनमुटाव झेलना पड़ा।
8. ठाकरे परिवार के आधार स्तंभ तो बालासाहब ठाकरे थे। उनके पिता केशव ठाकरे भी जाने-माने समाजसेवी एवं विचारक थे। वे एक समाज सुधारक भी थे जिन्होंने भारत में अस्पृश्यता, बाल विवाह और दहेज जैसी अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाया। वे एक ख्यात लेखक भी थे। बालासाहब की पत्नी व उद्धव की मां मीना का 1995 में निधन हो गया था।
9. उद्धव के बड़े भाई जयदेव सुर्खियों में कम रहते हैं लेकिन जयदेव की पत्नी स्मिता ठाकरे एक जाना-माना नाम है। वे फिल्म प्रोड्यूसर रही हैं। मुक्की फाउंडेशन और राहुल प्रोडक्शन की वे चेअर पर्सन और फाउंडर हैं। उन्होंने 1999 में फिल्म हसीना मान जाएगी से शुरुआत की थी। इसके अलावा उन्होंने हिंदी व मराठी सिनेमा व टीवी इंडस्ट्री के लिए भी काम किया है।
10. शिवसेना का बीजेपी से मनमुटाव पहले दबा-छुपा था, अब सार्वजनिक हो गया है। जब 2014 में शिवसेना ने देवेंद्र फडनवीस नीत बीजेपी सरकार में भागेदारी की तो पूरे पांच साल तक भीतर ही भीतर मतभेद पनपते रहे। उस समय डिप्टी सीएम का पद ना मिलने पर शिवसेना ने इस बार मोर्चा खोला। उद्धव शुरू से 50-50 के फार्मूले पर अड़े रहे। बात न बनने पर आखिर उन्होंने गठबंधन का रास्ता अख्तियार किया।
11. साल 2007 में उद्धव ठाकरे को पहली बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारी BMC चुनाव में हुई। बाला साहब ने उद्धव पर भरोसा करते हुए उन्हें चुनावों का दायित्व सौंपा। उद्धव ने भी उन्हें निराश नहीं किया। उन्होंने 79 सीटों पर जीत दिलवाई।
12. उद्धव के स्वभाव का भी उनके कार्यक्षेत्र में अच्छा खास प्रभाव रहा है। उनके चचेरे भाई राज ठाकरे जहां तुनक मिजाजी के लिए ख्यात हो गए थे, वहीं उद्धव स्वभाव से शांत और शालीन थे। उनकी यह शालीनता उनके काफी काम आई। पहले वे शर्मीले से नजर आते थे लेकिन अब पूरे आत्मविश्वास के साथ मंच से संबोधित करते हैं।
13. 2012 का साल उद्धव के लिए नाजुक था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां 16 जुलाई को उनकी एंजियोप्लास्टी हुई। इसके बाद उनकी आर्टरी में से तीन ब्लॉकेज सफलतापूर्वक ऑपरेट करके निकाल दिए गए
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