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केंद्रीय योजनाओं में यदि समय पर राशि नहीं मिलती है तो फिर राज्य सरकार भी अपना अंशदान देने पर विचार करेगी


भोपाल। प्रदेश की मौजूदा वित्तीय स्थिति और बढ़ते खर्च को देखते हुए वित्त विभाग जल्द ही मितव्ययिता के रास्ते अपनाने जा रहा है। इसके तहत जनवरी से बचत का फार्मूला लागू हो जाएगा। खरीदी पर प्रतिबंध लगाने के साथ विभागों को आवंटित राशि का उपयोग नहीं होने पर उसे वापस लेने की रणनीति बनाई गई है। वहीं, फरवरी में केंद्र सरकार का रुख देखकर विभागों को आवंटित बजट में भी कटौती की तैयारी है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय योजनाओं में यदि समय पर राशि नहीं मिलती है तो फिर राज्य सरकार भी अपना अंशदान देने पर विचार करेगी।


सूत्रों के मुताबिक, वित्त विभाग प्रतिदिन वित्तीय स्थिति की निगरानी कर रहा है। अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन की टीम एक-एक विभाग को बुलाकर खर्च की जरूरतों का आकलन कर रही है। विभागों से उन राशियों का भी हिसाब लिया जा रहा है, जिनका आवंटन मिलने के बाद भी उपयोग नहीं हुआ है।


पिछले दिनों ऐसे ही दो विभागों से करीब 60 करोड़ रुपए वापस लिए गए हैं। इस राशि का उपयोग दूसरे विभागों की जरूरत पूरा करने के लिए किया जाएगा। जनवरी से खरीदी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। 25 करोड़ रुपए तक भुगतान की जो छूट कोषालय से विभागों को मिली हुई है, उसे भी घटाया जा सकता है।


बताया जा रहा है कि केंद्रीय योजनाओं में राशि बहुत धीमी गति से मिल रही है। राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के तहत करीब दो हजार योजनाओं का केंद्रांश 548 करोड़ रुपए छह माह से लंबित था। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे के पत्र लिखने और केंद्रीय बैठक में मुद्दा उठाने के बाद पिछले दिनों 238 करोड़ रुपए दिए गए हैं। भावांतर भुगतान के 1017 करोड़ और गेहूं खरीदी के 1500 करोड़ रुपए केंद्र ने अभी तक नहीं दिए हैं।


सेंट्रल रोड फंड के 498 करोड़ रुपए भी लंबित हैं। इसके पहले 2677 करोड़ रुपए लेखानुदान से मुख्य बजट के बीच काटे जा चुके हैं। आर्थिक मंदी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न् क्षेत्रों को जो राहत दी है, उससे कर संग्रहण कम होने की आशंका है। इसका असर प्रदेश को मिलने वाले केंद्रीय करों के हिस्से पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। इसके मद्देनजर वित्त विभाग अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।


उधर, वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार से राज्य को जो राशि मिलनी है, उसकी तस्वीर फरवरी में साफ हो जाएगी। इसके बाद विभागों को आवंटित बजट में कटौती की जाएगी। ऐसे खर्च जिन्हें इस साल रोका जा सकता है, उन्हें अगले वित्तीय वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।


वहीं वसूली को लेकर अब सरकार थोड़ी सख्ती करेगी। ऐसी राशि जो अविवादित है, उसकी वसूली प्राथमिकता के आधार पर करवाई जाएगी। इसके लिए वित्त विभाग ने रोडमैप भी तैयार कर लिया है। वित्त मंत्री तरुण भनोत राजस्व संग्रहण करने वाले सभी विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों से प्रारंभिक चर्चा भी कर चुके हैं। जल्द ही इसको लेकर एक बड़ी बैठक भी मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में कराई जा सकती है।


एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज


विकास परियोजनाओं और आय-व्यय में संतुलन स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने नवंबर में ही एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। अभी तक प्रदेश के ऊपर एक लाख 82 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। इसमें एक लाख पांच हजार करोड़ रुपए का बाजार से लिया कर्ज भी शामिल है।


वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार सकल घरेलू उत्पाद का साढ़े तीन प्रतिशत तक कर्ज ले सकती है। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक साढ़े 13 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अब लगभग हर माह सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से कर्ज लेगी।


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