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मध्य प्रदेश में रजिस्ट्री कराने के लिए आपको कोई दस्तावेज लेकर नहीं जाना होगा डिजिटल लॉकर में मिलेगी कॉपी


 अगर आप कोई जमीन खरीद रहे हैं और इसकी रजिस्ट्री करवाना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। अब मध्य प्रदेश में रजिस्ट्री कराने के लिए आपको कोई दस्तावेज लेकर नहीं जाना होगा। आधार कार्ड बेस्ड रजिस्ट्री व्यवस्था शुरू होने के बाद आपको रजिस्ट्री कार्यालय में गवाह लेकर भी नहीं जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं रजिस्ट्री होने के बाद आधार कार्ड के नंबर पर खुले डिजिटल लॉकर में इसकी कॉपी पहुंचा दी जाएगी। जिसका आप जहां चाहे वहां से प्रिंट भी ले सकेंगे। ऐसा करने वाला मप्र का पंजीयन विभाग देश का पहला ऐसा विभाग बनने जा रहा है, जो पूरी तरह पेपर लेस (डीम्ड) हो जाएगा। यह सब संभव होगा ई-संपदा सॉफ्टवेयर के नए वर्जन 2.0 से। इस सॉफ्टवेयर को विभाग तैयार करवा रहा है। इसे लागू होने में करीब एक साल का समय लगेगा।


दरअसल, पंजीयन विभाग रूल बेस्ड मशीन लर्निंग (सॉफ्टवेयर पर आधारित ऑटोमेटिक) से 99 फीसदी सटीक रजिस्ट्रियां कराने की तैयारी कर रहा है। इस प्रक्रिया से की गई रजिस्ट्री में सब रजिस्ट्रार या अन्य अफसर कोई फेरबदल नहीं कर पाएंगे। ई-संपदा सॉफ्टवेयर का नया वर्जन 2.0 पूरी तरह आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस तकनीक से लैस होगा। नाम, पता सहित जमीन के रिकॉर्ड संबंधि गलती भी इस सॉफ्टवेयर के जरिए आसानी से पकड़ में आ जाएगी


प्रॉपर्टी का सही दाम मोबाइल पर ही देख सकेंगे


पंजीयन विभाग अपने सॉफ्टवेयर वर्जन 2.0 पर काम करने के साथ ही एक मोबाइल एप भी तैयार कर रहा है। इस एप के जरिए आप किसी भी प्रॉपर्टी की लोकेशन पर खड़े होकर उसका सही दाम पता कर सकेंगे। इससे विभाग को मौका स्थल का निरीक्षण करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही इस एप के जरिए रजिस्ट्री के लिए स्लाट भी बुक कर सकेंगे। इसके अलावा सब रजिस्ट्रार लोकेशन में हेरफेर कर जमीन के दाम बढ़ाते या घटाते हैं तो उसे भी आप चुनौती दे पाएंगे


यह होगा फायदा


- हर लोकेशन की सटीक जानकारी अब आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।


- वेंडर और एजेंट के चक्कर में रजिस्ट्री के ज्यादा पैसे आम जनता को नहीं चुकाने पड़ेंगे।


- फर्जी रजिस्ट्रियों पर रोक लग सकेगी।


- प्रापर्टी कितनी बार बिकी है और वर्तमान में किसके नाम पर है, इसकी सटीक जानकारी मिलेगी।


- रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर भी आप लोकेशन की जानकारी ले पाएंगे।


- टीएनसीपी से अप्रूव है या नहीं यह भी पता चल जाएगा।


- टैक्स और कैलकुलेशन की जानकारी मिलेगी।


अभी है यह व्यवस्था


- रजिस्ट्री की लोकेशन बदलकर स्टांप ड्यूटी में हेराफेरी हो जाती है, जिसे जांच होने के बाद पकड़ा जाता है, लेकिन बकाया राशि वसूलने में परेशानी होती है।


- रजिस्ट्री कराने के लिए दो गवाह और उनके दस्तावेज के रूप में फोटो आईडी सहित अन्य दस्तावेज लाने होते हैं।


स्लॉट बुक कराने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है, रजिस्ट्री का मूल्यांकन लोगों को आसानी से समझ नहीं आता


- लोकेशन पर जानकारी नहीं मिल पाती कि यह जमीन सरकारी रिकार्ड की है या फिर निजी खाते की।


नए सॉफ्टवेयर पर काम चल रहा है


नए सॉफ्टवेयर 2.0 पर काम किया जा रहा है। इससे 2020 में लोगों को कई सुविधाएं मिलेंगी। - मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर विभाग


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