मध्यप्रदेश में बुजुर्गों की सेवा और सम्मान की खातिर सैकड़ों कारोबारी और दुकानदारों ने अपना मुनाफा छोड़ने का एलान किया है। अध्यात्म विभाग द्वारा संचालित राज्य आनंद संस्थान की पहल पर प्रदेश के कई जिलों में बड़ी संख्या में व्यापारियों ने बुजुर्ग ग्राहकों के साथ 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' में व्यवसाय करने का निर्णय किया है। इसके लिए इन प्रतिष्ठान संचालकों ने शासन को घोषणा पत्र भी सौंपा है। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के सभी जिलों में राज्य आनंद संस्थान ने अपने 50 हजार आनंदकों के माध्यम से यह मुहिम शुरू की है। इसके तहत समाज के बुजुर्ग नागरिकों के प्रति सम्मान दिखाने एवं उन्हें 'स्पेशल फीलिंग' का अहसास कराने करीब 700 व्यापारी-कारोबारियों ने अपना मुनाफा छोड़ने का निर्णय किया है।
ऐसा उन्होंने अपने आनंद और आध्यात्मिक संतुष्टि के लिए किया है। एक अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर कुछ अलग और सार्थक प्रयास करने के लिए आनंद संस्थान ने भोपाल से यह शुरुआत की, जिसे अन्य शहरों के कारोबारियों ने भी हाथों-हाथ लिया और सहर्ष अपनी ओर से यह एलान कर दिया कि वे बुजुर्ग ग्राहकों से मुनाफा नहीं लेंगे।
इन शहरों में अच्छा रिस्पांस
मध्यप्रदेश के बड़े शहर इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के अलावा विदिशा, बड़वानी और मंडला जैसे छोटे शहरों में भी बड़ी संख्या में व्यापारियों ने यह घोषणा कर दी। इनमें होटल-रेस्टोरेंट, अस्पताल, दवा विक्रेता, किराना व्यवसायी, जनरल स्टोर्स, डिपार्टमेंटल स्टोर, फिजियोथैरेपिस्ट, कोचिंग इंस्टीट्यूट और सलून संचालक से लेकर कारपेंटर आदि ने भी सहर्ष आगे आकर बुजुर्गवार ग्राहकों को अधिकतम रियायत देने का एलान किया है। आनंद संस्थान के प्रदेश भर में फैले 50 हजार वालेंटियर (आनंदक) अपने गांव-शहरों के व्यवसाइयों को इस मुहिम के लिए सहमत कर घोषणा पत्र भरवाने में जुटे हैं।
सामाजिक स्तर पर पहली शुरुआत : अर्गल
राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल बताते हैं कि शासन द्वारा बुजुर्गों के लिए कई योजनाएं संचालित की गई हैं, लेकिन सामाजिक स्तर पर यह पहली शुरुआत है। इसमें सभी कारोबारियों ने स्वेच्छा से यह निर्णय किया है। इसमें बजट और पैसों का कोई लेनदेन नहीं रहेगा। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि बुजुर्गों के प्रति घर-परिवार से लेकर समाज में विशेष सम्मान का भाव जागृत करना है। भोपाल के कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट ने भी निर्णय किया है कि किसी बच्चे के साथ बुजुर्ग परिजन आते हैं तो उन्हें 50 फीसदी तक रियायत देंगे।
आनंद संस्थान वेबसाइट पर डालेगा सूची
आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अर्गल ने बताया कि संस्थान की वेबसाइट पर जल्द ही हर शहर और जिले के ऐसे कारोबारियों की सूची अपलोड की जाएगी। इसके लिए 'ऐप' भी बनाया जा रहा है। ऐसी दुकानों पर बुजुर्गों के लिए दी जा रही इस सुविधा के बारे में सूचना भी टांगी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस पहल से बुजुर्गों की उनके परिवार में पूछ-परख बढ़ेगी।
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