महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस नया प्रयोग करने जा रही है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में बनने जा रहे सरकार में हिंदुत्व जैसे मुद्दे की कोई जगह नहीं होगी बल्कि इसकी जगह किसान, महिलाएं और युवाओं को रोजगार देने जैसे मुद्दे अहम होंगे. एक ऐसा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया गया है, जिसमें विवाद वाले मुद्दों को बाहर रखने की कोशिश की गई है, ताकि सरकार पर कोई आंच ना आए. तीनों दलों ने मिलकर न्यूनतम साझा कर्यक्रम बनाया है, जिसके तहत किसानों की खराब हालत, बेरोजगारी, नौजवानो के लिये काम और उधोग धंधों की खस्ता हालत को पटरी पर लाना खास है.
एनसीपी सांसद माजिद मेनन ने कहा कि हिन्दुत्व की कोई जगह नहीं है जमीनी काम करेंगे और आगे ले जायेगे. वही केन्द्र में बीजेपी की साझीदार पार्टियां इस नये समीकरण पर तंज कसने से बाज नहीं आ रही है. केंद्रीय रामदास अठावले का कहना है कि हिंदुत्व और सेक्यूलर दोनों एक साथ आए हैं, देखें ये कितने दिन चलता है
वहीं, कांग्रेस और एनसीपी दोनों का मानना है कि शिवसेना के हिदुत्व से उन्हें फिलहाल उतना खतरा नहीं, जितना की बीजेपी के हिंदुत्व से है. वैसे भी महाराष्ट्र में सरकार साझा कार्यक्रम से ही चलेगी ना कि किसी दल के विचारधारा से
बता दें, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के महाराष्ट्र विकास आघाडी के नेता उद्धव ठाकरे आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके शपथ समारोह में आमंत्रित किया है. हालांकि पीएम मोदी को समारोह का आमंत्रण पर अलग से भी भेजा गया है. उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और द्रमुक नेता एमके स्टालिन को आमंत्रित किया गया है
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