प्रदेश के चार लाख से ज्यादा पेंशनर्स को हर साल बैंक जाकर जीवन प्रमाण पत्र देना अनिवार्य नहीं है। डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर भी बैंक से पेंशन मिलती रहेगी। इस सुविधा का सख्ती के साथ पालन करने के निर्देश वित्त मंत्री तरुण भनोत ने विभाग को दिए हैं। अभी प्रदेश में बैंक और पेंशनर्स की अरुचि के चलते सिर्फ पांच प्रतिशत लोग ही डिजीटल लाइफ सर्टिफिकेट का उपयोग करते हैं। हर साल एक नवंबर को बैंक की शाखा में जाकर जीवन प्रमाण पत्र देने की अनिवार्यता में आने वाली परेशानी के मद्देनजर पेंशनर्स संगठनों के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री तरुण भनोत से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि 2014 से यह व्यवस्था मध्यप्रदेश में लागू है, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इसमें बैंक और पेंशनर्स दोनों की अरुचि रही है।
अभी तक ये था नियम
पेंशन नियमों के तहत हर साल एक नवंबर की स्थिति में पेंशनर्स को जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है। यह उसी बैंक शाखा में प्रस्तुत करना होता है, जहां से पेंशन मिलती है। पेंशनर्स कॉमन सर्विस सेंटर, एमपी ऑनलाइन, बैंक शाखा या कोषालय से प्रमाणपत्र बनवा सकते हैं।
सुविधा की होगी निगरानी
पेंशनर्स बैंक शाखा को ई-मेल या एसएमएस के माध्यम से डिजीटल जीवन प्रमाण पत्र भेज सकते हैं। तय किया गया है कि वित्त विभाग और राज्य स्तरीय बैंकिंग कमेटी में इस सुविधा की निगरानी की जाएगी। हर 15 दिन में डिजीटल लाइफ सर्टिफिकेट की संख्या ली जाएगी। इस फैसले से बाद बुजुर्गों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
0 टिप्पणियाँ