उज्जैन। Bhairav Ashtami 2019 अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर मंगलवार को धर्मधानी में भगवान भैरवजी का जन्मोत्सव मनाया गया। भगवान महाकाल(Mahakal) के सेनापति कालभैरव(Kaal Bhairav Ujjain) का सुबह अभिषेक-पूजन हुआ। मध्यरात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाया गया। अन्य भैरव मंदिरों में भी जन्मोत्सव का उल्लास छाया रहा। एक भक्त ने भगवान कालभैरव को छप्पन भोग में पकवानों के साथ विभिन्न प्रकार की मदिराएं अर्पित कीं। रात 12 बजे 11 हजार लड्डुओं के भोग के साथ आरती हुई। बुधवार शाम 4 बजे कालभैरव मंदिर से महाकाल के सेनापति की सवारी धूमधाम से निकलेगी। भैरव अष्टमी पर मंगलवार को शहर के भैरव मंदिरों में भगवान के जन्मोत्सव का उल्लास छाया रहा।
तंत्र की उर्वरा भूमि कही जाने वाली उज्जयिनी में अष्ट महाभैरव का विशेष महत्व है। पुराण प्रसिद्घ इन मंदिरों में अगहन कृष्ण अष्टमी पर महाभैरव का जन्मोत्सव मनाया गया। सुबह भगवान का अभिषेक-पूजन तथा रात 12 बजे महाआरती हुई। दिनभर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। कालभैरव मंदिर में सेनापति कालभैरव को सिंधिया राजवंश की ओर से आई पगड़ी धारण कराकर आकृषक श्रृंगार किया गया। भैरव सहस्त्रनामावली के पाठ तथा बटुक भैरव के जप किए गए। रात्रि में जन्मोत्सव के बाद भंडारे का आयोजन हुआ। आताल पाताल भैरव, क्षेत्रपाल भैरव, गोरा भैरव, दंडपाणि भैरव, बटुक भैरव, विक्रांत भैरव, आनंद भैरव आदि मंदिरों में भी विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए।
साल में दो बार निकलती है कालभैरव की सवारी
कालभैरव मंदिर के पुजारी पं.धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने बताया भगवान काल भैरव साल में दो बार नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। अगहन कृष्ण अष्टमी पर जन्मोत्सव के बाद अगले दिन भगवान की सवारी निकाली जाती है। दूसरी सवारी डोल ग्यारस पर निकलती है। बाबा कालभैरव पालकी में सवार होकर शाही ठाठ के साथ भक्तों को दर्शन देने निलते हैं।
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