आयुष्मान भारत योजना में मध्य प्रदेश के निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली कर रहे हैं। अस्पताल मरीजों से तय पैकेज से 50 हजार रुपए तक ज्यादा ले रहे हैं। मरीज व परिजन की शिकायत पर स्टेट हेल्थ एजेंसी ने प्रदेशभर के 30 बड़े निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ज्यादा वसूली के आरोप सही पाए जाने पर इन अस्पतालों पर अर्थदंड या अनुबंध खत्म करने की कार्रवाई की जा सकती है। योजना के तहत स्टेट हेल्थ एजेंसी ने सभी बीमारियों के इलाज के लिए पैकेज तय किए हैं। इलाज के बाद दावा पेश करने पर एजेंसी अस्पताल के खाते में यह राशि ट्रांसफर करती है। अस्पताल मरीजों से जांच व अन्य सुविधाओं के नाम पर ज्यादा राशि वसूल रहे हैं। ज्यादा वसूली के लिए कुछ अस्पताल यह तर्क दे रहे हैं कि उन्हें राशि देर से मिलती है। आयुष्मान योजना के मरीजों को जांचों के विस्तृत बिल देने की जगह कुल जांचें व उसकी फीस बताई जाती है
निजी अस्पतालों में बंद होगी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
उज्जैन के गुरुनानक अस्पताल में 500 से ज्यादा महिलाओं की हिस्टेक्टमी (बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) की गई है। स्टेट हेल्थ एजेंसी ने जब अपने साफ्टवेयर में बीमारियों को लेकर आंकड़ा निकाला तो यह राजफाश हुआ। अस्पताल ने आसपास के क्षेत्रों में शिविर लगाकर मरीज चिन्हित किए। अस्पताल ने बच्चेदानी निकालने के कारण भी बताए हैं। एजेंसी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रही है। अब यह निर्णय लिया गया है कि लेप्रोस्कोप से होने वाली सभी सर्जरी सिर्फ सरकारी अस्पतालों में होंगी। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में गड़बड़ी की ज्यादा आशंका रहती है
472 की जगह अब सिर्फ 219 बीमारियां आरक्षित
मरीजों की सुविधा के लिए दूसरा बड़ा बदलाव यह किया जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित 472 बीमारियों को कम कर 219 किया जा रहा है। मरीजों को सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराने की मजबूरी न रहे इसलिए आरक्षित बीमारियों की संख्या कम की जा रही है। छोटे जिलों के निजी अस्पतालों को जोड़ने के लिए अलग नीति बनाई जा रही है। मालूम हो, आयुष्मान भारत योजना में गरीब व अन्य चिन्हित परिवार के लोगों को साल में पांच लाख रुपए तक निशुल्क इलाज की सुविधा मिलती है
अस्पतालों में मरीजों से पैकेज से अतिरिक्त राशि लेने की शिकायतें मिली हैं। हालांकि, ज्यादातर मरीजों के पास अधिक राशि लेने से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं। करीब 30 अस्पतालों को नोटिस देकर जवाब मांगा है। - डॉ. जे. विजय कुमार, सीईओ, आयुष्मान भारत योजना
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